Uttrakhand

राज्य में भूमि की धोखाधड़ी व अवैध खरीद फरोख्त पर अंकुश लगाने के मामले में दायर याचिका निस्तारित

नैनीताल हाईकोर्ट।

नैनीताल, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने राज्य में भूमि की धोखाधड़ी व अवैध खरीद फरोख्त पर अंकुश लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर जनहित याचिका निस्तारित कर दी है। पिछली तिथि को कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि 2014 में राज्य सरकार ने लैंड फ्रॉड समवन्य कमेटी गठित की थी वह किस तरह से कार्य कर रही है और अभी तक कमेटी के पास कितने लैंड फ्रॉड से संबंधित शिकायतें आई हैं, रिपोर्ट पेश करें। राज्य सरकार ने रिपोर्ट पेश कर कहा कि कमेटी के पास अभी तक 426 शिकायतें आई और कमेटी ने उन पर सुनवाई की है।

मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देहरादून निवासी सचिन शर्मा ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने 2014 में प्रदेश में लैंड फ्रॉड व जमीन से जुड़े मामलों में होने वाले धोखाधड़ी को रोकने के लिए लैंड फ्रॉड समन्वय समिति का गठन किया था। उसके अध्यक्ष कुमाऊं व गढ़वाल रीजन के कमिश्नर सहित परिक्षेत्रीय पुलिस उप महानिरीक्षक,आईजी,अपर आयुक्त, संबंधित वन संरक्षक, संबंधित विकास प्राधिकरण का मुखिया, संबंधित क्षेत्र के नगर आयुक्त व एसआईटी के अधिकारियों की कमेटी गठित की थी। जिनका कार्य राज्य में हो रहे लैंड फ्रॉड व धोखाधड़ी के मामलों की जांच करना, जरूरत पड़ने पर उसकी एसआईटी से जांच करके मुकदमा दर्ज करना था। इसके बावजूद आज की तिथि में लैंड फ्रॉड व धोखाधड़ी के जितनी भी शिकायतें पुलिस को मिल रही हैं, पुलिस खुद ही इन मामलों में अपराध दर्ज कर रही है। शासनादेश के अनुसार ऐसे मामलों को लैंड फ्रॉड समन्वय समिति के पास जांच के लिए भेजा जाना था।

जनहित याचिका में कहा गया कि पुलिस को न तो जमीन से जुड़े मामलों के नियम पता हैं और न ही ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज करने की पावर है। शासनादेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जब ऐसा मामला पुलिस के पास आता है तो लैंड फ्रॉड समन्वय समिति को भेजा जाए, वही इसकी जांच करेगी। अगर फ्रॉड हुआ है तो संबंधित थाने को मुकदमा दर्ज करने का आदेश देगी। वर्तमान में कमेटी का कार्य थाने से हो रहा है। जो शासनादेश में दिए गए निर्देशों के विरुद्ध है। इस पर रोक लगाई जाए।

(Udaipur Kiran) / लता / दधिबल यादव

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