श्रीनगर, 15 अप्रैल (Udaipur Kiran) । श्रीनगर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा रूहुल्लाह मेहदी ने कहा कि पार्टी ने उनके साथ सभी तरह के संवाद लगभग समाप्त कर दिए हैं, खास तौर पर पिछले साल सीएम आवास के बाहर विवादास्पद आरक्षण नीति के खिलाफ छात्र प्रदर्शन में उनकी भागीदारी के बाद।
सोशाल मीडिया के माध्यम से रूहुल्लाह ने कहा कि विधानसभा चुनाव तक मेरी राय मायने रखती थी। भले ही पार्टी मेरे तरीकों से असहमत हो लेकिन फिर भी वह मेरे विचारों का समर्थन करती थी लेकिन आरक्षण विरोध के बाद पार्टी ने मुझसे संवाद करना बंद कर दिया।
उन्होंने कहा कि चुनाव खत्म होने के तुरंत बाद ही संपर्क टूटना शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने मुझे लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए राजी किया तब से लेकर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तक मुझसे सलाह ली गई। लेकिन इसके तुरंत बाद मेरे विचारों को स्वीकार नहीं किया गया।
रूहुल्लाह ने कहा कि हाल के दिनों में एनसी नेतृत्व ने उनसे कोई सुझाव नहीं मांगा है, भले ही वह संसद में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते रहे हों। उन्होंने कहा कि अब मेरी राजनीतिक सोच को कोई नहीं मानता।
हालांकि रूहुल्लाह ने स्पष्ट किया कि उन्होंने पार्टी से सीधे टकराव से परहेज किया क्योंकि वे इसकी मजबूरियों को समझते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि उन्हें शासन के लिए केंद्र सरकार के साथ समीकरणों को संभालना होगा इसलिए मैंने उन पर अपना रुख नहीं थोपा। उन्होंने 23 दिसंबर के विरोध प्रदर्शन के लिए अपने समर्थन को इसका कारण बताया। रूहुल्लाह ने कहा कि मैंने कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित नहीं किया था। यह छात्रों का एक स्वतःस्फूर्त जमावड़ा था जो खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे थे। मैं बस उनके साथ खड़ा था। अगर मेरी मौजूदगी ने उनकी आवाज उठाने में मदद की तो मैं इसे अपना कर्तव्य पूरा करना मानता हूं। इसे विरोध प्रदर्शन कहें या कुछ और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर छात्रों के साथ खड़े होने से मैं पार्टी में दुश्मन बन जाता हूं तो मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर और बाहर अपने लोगों के लिए बोलना मेरा नैतिक कर्तव्य है। लेकिन यह अलगाव मुझे अंदर से खा रहा है। रूहुल्लाह ने जोर देकर कहा कि उनकी राजनीति महत्वाकांक्षा से प्रेरित नहीं है। मैं जो कुछ भी कहता हूँ, वह मेरी अंतरात्मा की आवाज़ है, किसी राजनीतिक इरादे से नहीं। मुझे किसी को यह साबित करने की ज़रूरत नहीं है। भगवान ही मेरा न्यायकर्ता है।
विरोध प्रदर्शन के जवाब में सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि एक कैबिनेट उप-समिति नीति की फिर से जाँच करेगी और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को एसीबी ने मेहदी और उनके छह रिश्तेदारों सहित 22 व्यक्तियों के खिलाफ़ भूमि राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए आरोप पत्र दायर किया था। आरोप पत्र के जवाब में रूहुल्लाह ने आरोप पत्र को निराधार बताया।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
