
बिलासपुर, 25 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में रायगढ़ जिले के घरघोड़ा में हाथियों की मौत के मामले में सुनवाई लगातार चल रही है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बैंच में सुनवाई हुई। जिसमें कर्नाटक हाथी टास्क फोर्स रिपोर्ट, 2012 द्वारा अनुशंसित न्यूनतम ऊंचाई को लेकर निर्देशों का पालन किया किए जाने के विषय में शपथपत्र दाखिल करने को लेकर पूछा गया। जिस पर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि शपथ पत्र की जानकारी काफी ज्यादा है, जिस पर समय लग रहा है। महाधिवक्ता ने पूरी जानकारी पेश करने कुछ दिनों का अतिरिक्त समय मांगा। जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद का समय तय किया।
जानकारी के अनुसार, रायगढ़ जिले के घरघोड़ा वन परिक्षेत्र में बिजली तार में प्रवाहित करंट की चपेट में तीन हाथी आ गये थे। इन तीनों की मौत होने के समाचार पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की। इस याचिका पर ऊर्जा सचिव के अलावा प्रबंध निदेशक छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत पारेषण कंपनी और प्रधान मुख्य वन संरक्षक, राज्य शासन को पक्षकार बनाया गया। इस घटना के कुछ दिनों बाद दीपावली से ठीक पहले अचानकमार वन क्षेत्र में भी इसी तरह करंट लगाए जाने से एक और हाथी मारा गया। बताया जाता है कि यहां शिकारियों ने जमीन पर करंट बिछाकर इस घटना को अंजाम दिया। चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच में पहले हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ऊर्जा सचिव को जवाब देने कहा कि, इस तरह ऊपर लगे हुए तार के सम्पर्क में हाथी कैसे आ गए…? वहीं हलफनामा पेश कर जवाब मांगा। पिछली सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अदिति सिंघवी ने कहा कि वन क्षेत्रों में न्यूनतम निकासी 20 फीट होनी चाहिए, जैसा कि कर्नाटक हाथी टास्क फोर्स रिपोर्ट, 2012 द्वारा अनुशंसित किया गया है, लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य में न्यूनतम निकासी उक्त ऊंचाई से काफी कम है। जैसा कि प्रतिवादी अधिकारियों ने 10 दिसंबर 2024 को दायर हलफनामे के पैराग्राफ संख्या 6 में भी स्पष्ट किया है। इस तर्क के बाद हाइकोर्ट की डिवीजन बैंच ने इसके मद्देनजर छत्तीसगढ़ सरकार के ऊर्जा विभाग के सचिव और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक को निर्देश देकर हस्तक्षेपकर्ता द्वारा 30 जनवरी 2025 के मामले में दायर अपना उत्तर-शपथपत्र दाखिल करने निर्देश दिया।
कोर्ट में आज मंगलवार को हुई सुनवाई में शपथपत्र दाखिल करने में समय की मांग की गई। जिसे स्वीकार करते हुए 2 सप्ताह के बाद सुनवाई तय करते हुए शपथपत्र पेश करने का आदेश दिया गया है।
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(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi
