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नई पीढ़ी धर्म को अधिक स्पष्टता से जाने, धर्म और समाज के प्रति फर्ज समझे : उप राष्ट्रपति

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड ने शुक्रवार को अहमदाबाद में 8वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन को प्रारंभ कराया।

-तीन दिवसीय सम्मेलन में 17 देशों के प्रतिनिधि समेत देश के विद्वान करेंगे धार्मिक ग्रंथों, वेद-पुराणों समेत बौद्ध धर्म पर करेंगे चिंतन

अहमदाबाद, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड ने शुक्रवार को अहमदाबाद में 8वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन को प्रारंभ कराया। इस अवसर पर उप राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म-धम्म के व्यापक दृष्टिकोण को लेकर ध्यान केंद्रित करने की वजह से यह सम्मेलन खास है। हजारों वर्ष से हिंदू और बौद्ध संस्कृति के प्राचीन ज्ञान में धर्म के विचार निहित थे, वे आज भी प्रासंगिक हैं।

उप राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म और धम्म के उपदेशों नैतिक जीवन की शोध में समाजों को हमेशा मार्गदर्शन देता रहा है। सिद्धांतों की कालातीत सुसंगतता इस बात को स्पष्ट करती है। इन्होंने एशिया और बाहर की संस्कृतिकयों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक परिदृश्य को आकार देने में महत्व की भूमिका निभाई है। भारत की वैदिक परंपरा से लेकर समग्र खंड में फैले बौद्ध दर्शन तक धर्म और धम्म की अवधारणाओं को एकीकृत किया है। आदर्श धर्म के विषय में उप राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म की आस्था को बनाए रखने के लिए धर्म का योग्य आचरण करना जरूरी है। अपनी नई पीढ़ी और युवा धर्म के विषय में अधिक स्पष्टता के साथ जाने और धर्म व समाज के प्रति अपने दायित्यों को समझे, यह बहुत जरूरी है। ऐसा करने से हम अधिक अच्छे से धर्म का पालन करने वाले समाज का निर्माण कर सकते हैं और धर्म के समक्ष पेश चुनौतियों को दूर कर सकेंगे। उपराष्ट्रपति ने कहा, समकालीन परिदृश्य में लोगों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है। ईमानदारी, पारदर्शिता और न्याय के साथ लोगों की सेवा करना एक पवित्र कर्तव्य है जो कभी-कभी चूक जाता है। प्रमाणिकता बनाए रखना ही धर्म का सार है। उन्होंने कहा कि नैतिक दायित्वों से विचलन गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह जनता के विश्वास को कमजोर करता है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म और कर्म के प्रति कर्तव्य की विफलता अधर्म का प्रतिबिंब है। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से मानवता की भलाई के लिए संवैधानिक धर्म का पालन करने और आचरण करने की अपील की।

साथ ही, उपराष्ट्रपति ने भारतीय संस्कृति, इतिहास और धर्म के लिए प्रतिबद्धता के बारे में बताया। उन्होंने संविधान के विभिन्न उदाहरणों, महाभारत और भगवद गीता के सिद्धांतों और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों और राज्य नीति के मार्गदर्शक सिद्धांतों का उल्लेख किया। इस अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर श्री राम जन्मभूमि के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी महाराज समेत श्रीलंकाख् भूटान, नेपाल समेत अन्य देशों के विद्वान, धर्मिक प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय / प्रभात मिश्रा

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