Uttar Pradesh

भारत विकास परिषद् का राष्ट्रीय लक्ष्य है देश की सेवा : डॉ एनसी अग्रवाल

डॉ नवीन चंद्र अग्रवाल

प्रयागराज, 07 जून (Udaipur Kiran) । आजादी के संघर्ष के दौरान जब देश विभाजन की त्रासदी से गुजर रहा था, चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण किया। जिसमें भारत पराजित हुआ। क्योंकि उस समय भारतीय सैनिकों के पास न हथियार थे, न वस्त्र थे और न ही आवश्यक भोजन था। ऐसे वातावरण में डॉ सूरज प्रकाश ने 1963 में भारत विकास परिषद् की स्थापना की।

यह जानकारी 2008-09 मैं भारत विकास परिषद् के अध्यक्ष रहे एवं वरिष्ठ सीए डॉ नवीन चंद्र अग्रवाल ने (Udaipur Kiran) के संवाददाता से वार्ता के दौरान दी। उन्होंने बताया कि डॉक्टर सूरज प्रकाश भारत विकास परिषद के अखिल भारतीय संस्थापक महासचिव जीवन पर्यंत रहे। प्रयाग शाखा के संस्थापक रामेश्वर प्रसाद गोयल कहा करते थे भारत विकास परिषद् कोई क्लब नहीं है, यह एक संस्था है जिसका एक राष्ट्रीय लक्ष्य है तथा यह संस्था राष्ट्र सेवा एवं राष्ट्र विकास में समर्पित होकर देश सेवा का अवसर प्रदान करती है। इसकी स्थापना 1983 में रामेश्वर प्रसाद गोयल ने की, जिसका नाम प्रयाग शाखा रखा गया। डॉ अग्रवाल ने बताया कि आज प्रयागराज में 12 शाखायें हैं जिनमें प्रयाग, संगम, शिवाजी, कुश भवनपुर, लक्ष्य, संस्कार, मंगलम, विशाल, समृद्धि, कालिंदी, तेजस्विनी एवं गंगा शाखा शामिल हैं।

डॉ अग्रवाल ने परिषद् के बारे में बताया कि मानव शरीर के हृदय का ऐसा परिष्कार करना कि वसुधैव कुटुंबकम की भावना को आत्मसात कर सके, भी भारत विकास का आयाम है। उसमें सुविधा सम्पन्न ग्राम नगर आदि की स्थापना करना, साहित्य, कला, शिक्षा आदि का विकास करना भी भारत की सेवा है। परिषद् प्रत्येक वर्ष बच्चों को जागृत करने के लिए कई प्रतियोगिताएं भी आयोजित कराती है। जिससे बच्चों में देश के प्रति आदर का संचार हो। उन्होंने बताया कि भारत विकास परिषद् के पांच सूत्र हैं, जिन पर परिषद् कार्य करता है।

1-सम्पर्क :- उन व्यक्तियों को चिन्हित करते हैं और उनसे व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करते हैं, जो परिषद् के सदस्य के रूप में परिषद् की गतिविधियों में जिम्मेदारी पूर्वक सहायता प्रदान करने को तैयार हो सकते हैं।

2- सहयोग :- समाज के प्रभावशाली लोगों का सक्रिय सहयोग प्राप्त करते हैं और फिर उन लोगों को जिम्मेदारियां सौंपते हैं तथा उनके सहयोग से परिषद् के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करते हैं।

3- संस्कार :- अपने देश की धरोहरों के सर्वश्रेष्ठ पहलुओं व आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति अपने सदस्यों को शिक्षित व प्रेरित करते हैं।

4- सेवा :- परिषद् की समस्त गतिविधियों का बिन्दु सेवा है। निःस्वार्थ व समर्पित सेवा और यह सेवा किसी दया या कमजोर के प्रति हीनभाव से प्राप्तकर्ता को नहीं दी जाती है, बल्कि हमारी सस्कृति के अनुरूप सच्ची भावना से पूजा भाव के साथ प्रदान की जाती है। जिसमें ‘नर सेवा नारायण का भाव रहता है’।

5- समर्पण :- परिषद् परिवार के सदस्यों को समाजोन्मुखी, अहंकार रहित, पूर्ण समर्पित भाव जागृत करने का प्रयास रहता है एवं उचित समर्पित मनोस्थिति के साथ मातृभूमि की सेवा के लिए तैयार करने हेतु समर्पण अपरिहार्य है।

डॉ अग्रवाल ने बताया कि परिषद् दिनोंदिन प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है और इस वर्ष उन्होंने स्मारिका ‘विकास’ का संपादन किया है। जिसमें प्रत्येक पृष्ठ पर प्रयागराज के पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्थलों को भी चित्रित कर दर्शाया गया है। इसमें राष्ट्रीय कार्यक्रम के अतीत का वातायन जिनमें राष्ट्रपति वीवी गिरी, ज्ञानी जैल सिंह, नीलम संजीव रेड्डी की उपस्थिति है। प्रयाग प्रांत के गठन वर्ष 2005 के साथ ही शाखा के विषय में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी है । स्थापना से अब तक की 30 अध्यक्षों के छाया चित्र भी दिए गए हैं। शाखा के विशिष्ट सदस्यों की स्मृति में सम्मान प्रारंभ किए गए हैं जो रामेश्वर प्रसाद गोयल, न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा, डॉ बीएल अग्रवाल एवं पदम श्री डॉक्टर जी बनर्जी है। शाखा के कार्यक्रमों में न्यायमूर्ति गण, विश्वविद्यालय के कुलपति, शिक्षा विद, उद्यमी, अधिवक्ता, डॉक्टर चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों को विभिन्न कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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