मंडी, 11 नवंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में हुए आतंकी हमले में बलिदान हुए हवलदार राकेश कुमार का पार्थिक शरीर सोमवार दोपहर बाद सेना के विशेष हेलीकाप्टर द्वारा मंडी लाया गया। मंडी शहर के कांगणी हेलीपैड पर उनकी पार्थिव देह को उतार कर उसे नेरचौक मेडिकल कालेज तक ले जाया गया जहां से मंगलवार सुबह उनके जिले के नाचन विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले गांव बरनोग ले जाया जाएगा।
उधर, शहीद राकेश कुमार के शव के सेना के विशेष हेलीकाप्टर द्वारा कांगणी हेलीपैड पहुंचने पर उसके भाई कमल कुमार, परिजन, नाचन के विधायक विनोद कुमार, डीआईजी मंडी सौम्या सांबशिवन, पुलिस अधीक्षक मंडी साक्षी वर्मा व अन्य अधिकारी पहुंचे थे। पुलिस के अधिकारियों डीआईजी पुलिस मध्य जोन मंडी सौम्या सांबशिवन, पुलिस अधीक्षक साक्षी वर्मा, विधायक नाचन विनोद कुमार व सेना के अधिकारियों व अन्य ने हेलीपैड पर शहीद का पुष्प चक्र अर्पित करके श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर हिमाचल डिफेंस वुमेन वेलफेयर एसोसिएशन के पूर्व सैनिकों और वीर नारियों ने मौके पर रीथ सेरेमनी दी और शहीद को सैकड़ों लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
उधर, पालमपुर से सेना की टुकडी में 52 फील्ड रेजिमेंट के 15 जवान और दो अधिकारी पहुंचे हैं जो कि जो कि बलिदानी को सलामी देंगे। इसके बाद बलिदानी के शव को नेरचौक मेडिकल कॉलेज में रखा गया है जहां सुबह उनके शरीर को उनके घर बरनोग में ले जाकर अंतिम संस्कार होगा।
पूरे सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
उधर, सेना के अधिकारियों व परिजनों ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार अब मंगलवार को ही सुबह ही पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। क्योंकि उनका शरीर पहुंचने में शाम हो गई है जिसके चलते अब अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा। इस बारे में डिप्टी डायरेक्टर सोल्जर बोर्ड ले कर्नल गोपाल गुलेरिया ने बताया कि बलिदानी का शव मंडी पहुंच गया है और मंगलवार को सुबह पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।
मंडी जिला के बल्ह उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत छम्यार के बरनोग गांव के 42 वर्षीय राकेश कुमार के बलिदान के बाद पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मिली जानकारी के अनुसार बलिदानी राकेश कुमार और उसके भाई का 10 कमरों का मकान वर्ष 2023 की प्राकृतिक आपदा में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। मौजूदा समय में बलिदानी राकेश कुमार का भाई अपने पुराने मकान में तो राकेश कुमार का परिवार बैहना में किराए के मकान में रह रहा है।
राकेश कुमार के भाई कर्म सिंह ठाकुर ने बताया कि उनका भाई अभी डेढ़ महीना पहले ही छुट्टियां काटकर वापिस अपनी डयूटी पर गया था और दिसंबर में फिर घर आकर जनवरी में नए घर का निर्माण कार्य शुरू करने का वादा करके गया था। राकेश कुमार का नये घर को बनाने का सपना अधूरा ही रह गया और वो देश की रक्षा करते हुए शहादत का जाम पी गया। अब यह सारी जिम्मेवारियां परिवार के उपर आ गई हैं।
बलिदानी राकेश कुमार अपने पीछे 90 वर्षीय बुजुर्ग मां भत्ती देवी, 33 वर्षीय पत्नी भानु प्रिया, 12 वर्षीय बेटी यशस्वी ठाकुर और 7 वर्षीय बेटे प्रणव ठाकुर को छोड़ गया है। ग्राम पंचायत छम्यार के उप प्रधान रेलू राम ने सरकार और प्रशासन से मांग उठाई है कि बलिदानी के परिजनों को जल्द से जल्द घर की सुविधा मुहैया करवाई जाए।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा