
गोरखपुर, 3 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल में ‘सिमुलेशन और ओएससीई’ वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसका मुख्य थीम ‘ब्रिजिंग द गैप बिटवीन थ्योरी एंड प्रैक्टिस’ रहा।
इस अवसर पर नर्सिंग संकाय की प्रमुख डॉ. डीएस अजीथा ने बताया कि सिमुलेशन यथार्थवादी परिदृश्य बनाने की विधि है जो छात्रों को कौशल का अभ्यास करने की अनुमति देता है। यह छात्रों को निर्णय लेने की क्षमता, समस्या समाधान की क्षमता विकसित करने में मदद करता है तथा उन्हें सुरक्षित वातावरण में सिद्धांतों को लागू करने की अनुमति देता है। सिमुलेशन का उद्देश्य मानवीय त्रुटि को कम करना, रोगी देखभाल कौशल का अभ्यास करना, गलती की अनुमति देना और उसमें सुधार करना है। इसलिए, कड़ी मेहनत की तुलना में स्मार्ट काम करना अच्छा है।
डॉ. अजीथा ने सिमुलेशन की विभिन्न पद्धतियों के बारे में भी बताया जो मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं – पहला क्लासिकल- एक देखें, एक करें, एक सिखाएं और दूसरा आधुनिक – एक देखें, कई अभ्यास करें और एक करेंI आज के समय मे, सिमुलेशन भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि केवल व्याख्यान देने से केवल 10% परिणाम मिलता है लेकिन हम अन्य शिक्षण पद्धति के माध्यम से 90% से अधिक परिणाम देख सकते हैं I इसमें मुख्य रूप से 5 घटक हैं- सिमुलेशन योजना, पूर्व संक्षिप्त विवरण, परिदृश्य, डीब्रीफिंग, मूल्यांकन इसलिए हमने कहा कि सिमुलेशन तकनीक नहीं है यह एक पद्धति है। श्वेता अल्बर्ट, नर्सिंग ट्यूटर ने सिमुलेशन पर पूर्व परीक्षण कराया, उप प्राचार्य प्रिंसी जॉर्ज ने कार्यशाला के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। ममता, सहायक प्रोफेसर ने वर्कशॉप के अमीन उद्देश्य बारे में बताया। रजिता आर.एम., एसोसिएट प्रोफेसर ने समूह की सहायता से सिमुलेशन के संबंध में अपेक्षा पर चर्चा की I
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
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