अयोध्या, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । शादी होने के बाद पति-पत्नी के बीच जिस तरह से मधुरता से खुशी का इजहार होता है। लेकिन जब पति-पत्नी के बीच विवाद होने पर दोनों पक्ष अलग-अलग जीवन यापन करने लगते हैं, तो उस समय उनका जीवन अंधकार हो जाता है। दोनों पक्ष का सुलह समझौता के आधार पर फिर से मिलन होता है तो एक बार पुनः जीवन सुख मय हो जाता है और उनके बच्चों का जीवन भी अंधकार मुक्त हो जाता है।
ऐसे ही एक मामला पटरंगा थाना क्षेत्र के बरगदी गांव का न्यायालय में चांदनी बानो बनाम महफूज आलम का चल रहा था। उनकी शादी वर्ष 2018 में हुई थी। दोनों के बीच एक 5 साल की लड़की है। दाेनाें के बीच दाे से विवाद चल रहा था, जिस कारण पति-पत्नी अपना अलग-अलग जीवन यापन कर रहे थे। ऐसे में यह मुकदमा न्यायालय द्वारा सुलह समझौता के लिए मध्यस्थता केंद्र सिविल कोर्ट अयोध्या को संदर्भित किया गया, जहां पर मध्यस्थता देव बक्स वर्मा ने दोनों पक्षों को अलग-अलग व संयुक्त रूप से एक साथ रहने के लिए समझाया बुझाया। अलग-अलग रहने और एक साथ रहने के लाभ और हानि के बारे में भी बताया। इस दाैरान दाेनाें पक्ष सुलह समझौता के आधार पर एक साथ जीवन यापन करने को राजी हो गए।
पति-पत्नी हंसी खुशी से सुलह समझौता कर केंद्र से एक साथ बाहर निकले। दाेनाें पक्षों के चेहरे पर मुस्कान देखी गई। जब दोनों ने एक साथ जीवन यापन करने की रजामंदी हुई ताे उनके बच्चे का जीवन भी अंधकार से निकलकर सुनहरे जीवन और उज्जवल भविष्य की तरफ आगे बढ़ेगा।
जिला विधिक सेवा के सचिव अनिल कुमार वर्मा व मध्यस्थत देवबक्श वर्मा ने दाेनाें पक्षों को सुलह समझौता के आधार पर पुन: जीवनयापन करने और एक साथ
गुजर बसर करने और बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए अपनी मंगल शुभकामनाएं मुबारकबाद दी।
(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय / मोहित वर्मा