HEADLINES

मृतक बैंक कर्मचारी के परिवार की आय उसके अंतिम वेतन के 75 प्रतिशत से अधिक थी

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

–हाईकोर्ट ने अनुकम्पा नियुक्ति के दावे को खारिज करने के बैंक फैसले को सही कहा

प्रयागराज, 15 अप्रैल (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मृत बैंक कर्मचारी की पत्नी द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति के दावे को खारिज करने के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट ने यह देखते हुए यह आदेश दिया कि परिवार की आय मृत कर्मचारी द्वारा प्राप्त अंतिम वेतन के 75 प्रतिशत से अधिक थी और उसकी मृत्यु के परिणामस्वरूप परिवार को वित्तीय अभाव का सामना नहीं करना पड़ रहा था। हाईकोर्ट सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश पर विचार कर रहा था, जिसमें अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति देने के याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकल पीठ ने कहा, “मृतक के परिवार की आय मृतक द्वारा प्राप्त अंतिम वेतन के 60 प्रतिशत से अधिक है। वास्तव में याचिकाकर्ता की पारिवारिक आय उसके द्वारा प्राप्त अंतिम वेतन के 75 प्रतिशत से अधिक है। इस प्रकार निर्धारित परिवार की आय यह स्थापित करती है कि कर्मचारी की मृत्यु के परिणामस्वरूप परिवार को वित्तीय अभाव का सामना नहीं करना पड़ा।

मामले के अनुसार याची चंचल सोनकर का पति प्रतिवादी-स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कर्मचारी था। वर्ष 2022 में उसकी मृत्यु हो गई, तथा मृतक का अंतिम आहरित सकल वेतन 1 लाख 18 हजार 800 था। बैंक ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए याची के दावे को अस्वीकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति देने का एकमात्र उद्देश्य परिवार को परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के परिणामस्वरूप होने वाले तत्काल वित्तीय संकट से उबरने में सक्षम बनाना है।

सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि अनुकम्पा के आधार पर नियुक्तियों के अधिकार की अत्यधिक उदार व्याख्या ऐसी नियुक्तियों के लिए द्वार खोल देगी और उन्हें भर्ती के वास्तविक स्रोत में बदल देगी। अनुकम्पा के आधार पर एक अनुचित उदार दृष्टिकोण जो लागू सेवा नियमों के अनुरूप नहीं है, अयोग्य उम्मीदवारों को लाभ प्रदान करेगा, और साथ ही योग्य और मेधावी उम्मीदवारों के सरकारी पदों पर नियुक्ति पाने के अधिकारों और वैध दावों को नकार देगा।

कोर्ट ने कहा योग्यता माता-पिता से नहीं मानी जानी चाहिए, बल्कि खुली प्रतिस्पर्धा के माध्यम से हासिल की जानी चाहिए। न्यायालय ने आगे कहा कि अनुकम्पा के आधार पर नियुक्तियों का उद्देश्य मृतक के परिजनों के लिए अप्रत्याशित लाभ अर्जित करना नहीं है। नियोक्ता को केवल वित्तीय स्थिति का आंकलन करने की आवश्यकता है जो रसोई की आग को जलाए रखती है।

कोर्ट ने पाया गया कि याची की पारिवारिक आय उसके अंतिम वेतन के 75 प्रतिशत से अधिक थी और कर्मचारी की मृत्यु के परिणामस्वरूप परिवार को वित्तीय अभाव का सामना नहीं करना पड़ा। इस प्रकार, ऐसे तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर, बेंच ने रिट याचिका को खारिज कर दिया।

—————

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

Most Popular

To Top