कैथल, 13 अप्रैल (Udaipur Kiran) । साहित्य सभा कैथल द्वारा आरकेएसडी कालेज के अध्यापक-कक्ष में रविवार काे काव्य-गोष्ठी और जलियांवाला बाग़ की घटना को लेकर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस सम्पूर्ण आयोजन की अध्यक्षता साहित्य सभा के प्रधान एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफ़ेसर अमृत लाल मदान ने की। कहानीकार राम सिंह आर्य ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया।
संचालन हरियाणवी-हिंदी साहित्यकार रिसाल जांगड़ा ने किया। गोष्ठी के दौरान इतिहासकार, शिक्षाविद् एवं अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति, प्रांत हरियाणा के पूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर बी.बी.भारद्वाज ने 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में घटित घटना पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने जलियांवाला बाग़ की घटना से पूर्व के इतिहास की और इस घटना के बाद के परिणामों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल 1919 जलियांवाला बाग़ में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना भारतीयों द्वारा स्वतंत्रता-प्राप्ति के लिये किये जा रहे संघर्ष की दिशा में एक निर्णायक मोड़ सिद्ध हुई। उन्होंने अपने व्याख्यान में जलियांवाला बाग़ की घटना पर हुए शोध की क्रमबद्ध जानकारी दी और कईं अज्ञात एवं अल्प ज्ञात तथ्यों के बारे में बताया।
13 अप्रैल 1919 की घटना का ही ज़िक्र करते हुए सुरेश कुमार कल्याण ने कहा :- कैसे भूलूं बात वह, छाती लहुलुहान। वैशाखी त्योहार था, बाग़ बना श्मशान। वैशाखी पर्व को लेकर श्याम सुंदर शर्मा गौड़ ने कहा : आज वैशाखी आई। जश्ने-बहारां लाई। प्रेम -दरवाज़े को लेकर राजेश भारती ने कहा : प्रेम-दरवाज़ा, जिसे भी मिले, मुझे तुरंत सूचित करे, मुझे भी पार उतरना है। सजने-सँवरने को प्रेरित करते हुए रजनीश शर्मा ने कहा : तू सज-सँवर कर आया कर और अपने पर इतराया कर। कलाम की ताक़त बयान करते हुए दिनेश बंसल दानिश ने कहा कि जीतना है इसी से सारा जहां, पास मेरे कलाम ही है। प्रोफ़ेसर अमृत लाल मदान ने कोयल को लेकर भावपूर्ण कविता पढ़ी और स्वप्न-कथा प्रश्न-चिन्ह का पाठ किया। कमलेश शर्मा ने जलियांवाला बाग़ के शहीदों को नमन करते हुए रोचक व्याख्यान के लिये प्रोफ़ेसर बी0 बी0 भारद्वाज का आभार व्यक्त किया। इनके अतिरिक्त अनिल गर्ग धनौरी, बलवान सिंह कुण्डू सावी, भोला राम,सोहन लाल सोनी, डॉ0 प्रीतम लाल शर्मा, शमशेर सिंह कैंदल हमसफ़ीर, मीठू राम और डॉ0 हरीश चंद्र झंडई ने भी अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ करके उपस्थित-जनों को आनन्दित किया। प्रोफ़ेसर अमृत लाल मदान की अध्यक्षीय टिप्पणी के साथ काव्य-गोष्ठी एवं व्याख्यान कार्यक्रम का समापन हुआ।
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(Udaipur Kiran) / मनोज वर्मा
