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कोलकाता, 13 फरवरी (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2007 में नंदीग्राम और खेजुरी में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं से जुड़े 10 आपराधिक मामलों को फिर से शुरू करने का आदेश दिया है। अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा इन मामलों को वापस लेने के फैसले को अवैध करार देते हुए आरोपितों पर मुकदमा चलाने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति देबांग्सू बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी की पीठ ने गुरुवार को दिए गए अपने फैसले में कहा कि इन 10 आपराधिक मामलों के अभियुक्तों को न्याय प्रक्रिया का सामना करना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि इन हत्याओं की घटनाओं को देखते हुए अभियोजन पक्ष द्वारा धारा 321 (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड) के तहत मुकदमे वापस लेना जनहित के खिलाफ है।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि किसी भी लोकतंत्र में हिंसा को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने राज्य सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि इससे राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा देने की गलत व्याख्या हो सकती है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी राज्य को हिंसा के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी चाहिए।
न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि शांति और सौहार्द्र की बहाली के आधार पर इन मामलों को वापस लिया गया था। अदालत ने निर्देश दिया कि उन अदालतों में जहां धारा 321 के तहत मुकदमा वापसी को मंजूरी दी गई थी, वहां सरकारी अभियोजक दो सप्ताह के भीतर उचित कानूनी कार्रवाई करें।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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