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हाई कोर्ट ने सक्षम निकाय की अनुपस्थिति से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पहलवानों के चयन नहीं होने और उनके हिस्सा नहीं लेने पर एतराज जताया

नई दिल्ली, 06 मार्च (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने सक्षम निकाय की अनुपस्थिति से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पहलवानों के चयन नहीं होने और उनके हिस्सा नहीं लेने पर एतराज जताया है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से इस संबंध में निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।

हाई कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि 16 अगस्त 2024 को हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज की देखरेख के लिए तदर्थ समिति के गठन पर मुहर लगाया था। सिंगल बेंच ने कहा था कि भारतीय ओलंपिक संघ चाहे तो तदर्थ समिति का पुनर्गठन कर सकती है। सिंगल बेंच ने कहा था कि भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज की देखरेख के लिए गठित तदर्थ समिति को भंग करने की जरूरत नहीं थी। ऐसे में तदर्थ समिति तब तक काम करती रहेगी जब तक उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएया उसे वापस नहीं लिया जाए। लेकिन इस फैसले के बाद आज तक तदर्थ कमेटी का गठन नहीं किया गया।

दरअसल, खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को दिसंबर 2023 में भंग कर तदर्थ कमेटी का गठन किया गया था और मार्च 2024 में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने तदर्थ समिति को भी भंग कर दिया। ऐसे में आज की तिथि में भारतीय कुश्ती संघ बिना किसी प्रमुख के है।

सिंगल बेंच के समक्ष याचिका दायर करने वालों में बजरंग पुनिया के अलावा विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और सत्यव्रत कादियान शामिल थे। याचिका में भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज के लिए तदर्थ समिति का गठन करने या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को प्रशासक नियुक्त करने की मांग की गई थी।

महिला पहलवानों ने बीजेपी के पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व सचिव विनोद तोमर के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए केस भी दर्ज कराया है जो राऊज एवेन्यू कोर्ट में लंबित है।

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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा

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