प्रयागराज, 27 जनवरी (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा उसके पिता को सौंपी जाए। न्यायालय ने यह निर्देश इसलिए दिया क्योंकि बच्चे की मां ने अपने पति से औपचारिक तलाक लिए बिना ही कथित तौर पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ भागकर शादी कर ली थी।
न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि एक गौरवशाली देश के उभरते नागरिक नाबालिग बच्चे के भविष्य की देखभाल ‘ऐसी मां’ द्वारा नहीं की जा सकती, जो अपने पति को तलाक दिए बिना ही किसी अन्य व्यक्ति के साथ भाग गई।
इसके साथ ही एकल न्यायाधीश ने पिता (याचिकाकर्ता संख्या 3/सूरज कुमार) द्वारा अपनी पत्नी (याचिकाकर्ता संख्या 1/जागृति) और अपने बेटे (याचिकाकर्ता संख्या 2/ यश कुमार (कॉर्पस) के हिरासत की मांग करते हुए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया। थाना रकबगंज, आगरा निवासी पति सूरज कुमार का कहना था कि उनकी पत्नी और बेटा प्रतिवादी संख्या 7 की अवैध हिरासत में थे।
हालांकि, कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता संख्या 1 (पत्नी) ने दावा किया कि वह और उसका बच्चा (याचिकाकर्ता संख्या 2) अपनी मर्जी से प्रतिवादी संख्या 7 के साथ रह रहे हैं। हालांकि, उसने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता संख्या 3 ही सम्बंधित बच्चे का पिता है।
याचिकाकर्ता संख्या 3 (पति/पिता) के वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल के पास अपने बच्चे के पालन-पोषण के लिए पर्याप्त वित्तीय साधन हैं। और केवल याचिकाकर्ता संख्या 1 (पत्नी/माता) द्वारा अपनाई गई काल्पनिक और आकर्षक संस्कृति के आधार पर बच्चे के भविष्य को अधर में नहीं डाला जा सकता।
पक्षों के वकीलों द्वारा उठाए गए तर्कों और याचिकाकर्ता संख्या 1 द्वारा दिए गए बयान पर विचार करते हुए, अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि नाबालिग बच्चे को उस महिला के पास नहीं छोड़ा जा सकता है, जो याचिकाकर्ता संख्या 3 से तलाक के रूप में कानून का उचित सहारा लिए बिना किसी व्यक्ति के साथ भाग गई है।
कोर्ट ने इसे देखते हुए उप-निरीक्षक को, जिसने अदालत के समक्ष बच्चे को प्रस्तुत किया था, उसे निर्देश दिया कि वह बच्चे की हिरासत उसके पिता को सौंप दे। तदनुसार कोर्ट ने याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे