चित्तौड़गढ़, 8 सितंबर (Udaipur Kiran) । जिले के गिलुंड स्कूल के पोषाहार में मृत मेंढक मिलने का विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अपनी जिम्मेदारियों पर पर्दा डालने के लिए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी प्रयास करते दिख रहे हैं। मृत मेंढक की जानकारी मिलते ही सहजता दिखाते हुए संस्था प्रधान ने आस-पास के स्कूलों में सूचना कर पोषाहार का वितरण रुकवा दिया था। इससे कि बच्चों में खराब पोषाहार का वितरण होने से रुक गया। इसके बदले संस्था प्रधान को पुरस्कार मिलना था। लेकिन ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने तो विभाग की कमियों को ढंकने के लिए उल्टा संस्थाप्रधान को ही दोषी ठहरा दिया। संस्था प्रधान को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है कि मीडिया में इसकी सूचना कैसे पहुंची।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को पोषाहार के वितरण में स्कूलों में खिचड़ी भेजी गई थी। गिलुंड स्कूल में स्टाफ ने खिचड़ी में मृत मेंढक देखा था। इस पर अपने स्कूल में तो खिचड़ी का वितरण रुकवाया ही, साथ ही नजदीक के पांच स्कूलों में भी वितरण रुकवा दिया। पोषाहार अक्षय पात्र फाउंडेशन से बन कर आता है। स्कूल विकास समिति के सदस्य भी स्कूल आ गए। अक्षय पात्र फाउंडेशन के के स्टाफ को बुला कर भी इसकी जानकारी देकर पोषाहार पुनः भेज दिया था। संस्था प्रधान ने सजगता दिखाई और खराब पोषाहार का वितरण रुकवा दिया। इसके बदले स्टाफ का प्रोत्साहन करने के स्थान पर शिक्षा विभाग के अधिकारी हतोत्साहित कर नोटिस थमा रहे हैं।
जिला कलेक्टर के आदेश पर गठित हुई टीम
इस संबंध में समाचार का प्रकाशन होने के बाद जिला कलेक्टर ने तत्काल जांच के निर्देश दिए। साथ ही भविष्य में इस तरह की पुनरावृति नहीं हो, हिदायत दी। तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया। इसकी रिपोर्ट में तत्काल मेंढक गिरना सामने नहीं आया था। रास्ते में परिवहन के दौरान मेंढक गिरने की बात रिपोर्ट में मानी थी।
हवाला फ्लेगशिप योजना का, खुद का कर रहे बचाव
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे बड़े प्रकरण में शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी पर गाज नहीं गिरी। लेकिन ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने एक नोटिस संस्था प्रधान को दिया है। इसमें इस बात का उल्लेख है कि बालकों को स्वास्थय से जुड़ा होकर स्वास्थय लाभकारी महत्वपूर्ण फ्लेगशिप योजना है। इस प्रकार की स्थिति में एक संस्था में घटित किसी घटना का समाचार किस प्रकार सोशल मीडिया पर प्रकाशित हो गया। संस्था प्रधान पर मीडिया में समाचार प्रकाशित होने के बाद उच्च अधिकारियों को मामले से अवगत कराने का आरोप लगा जवाब मांगा।
क्या मिडिया को रोकने का प्रयास?
मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी का इस प्रकार संस्था प्रधान को नोटिस जारी करना कहीं ना कहीं मीडिया पर पाबंदी को जोड़ कर देखा जा रहा है। मीडिया में समाचार आने के बाद ही उच्च अधिकारी हरकत में आए। जिला शिक्षा अधिकारी अपनी रिपोर्ट लेकर जिला कलेक्टर के पास पहुंचे। इसके तत्काल बाद जिला कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए थे।
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(Udaipur Kiran) / अखिल