
जयपुर, 6 जून (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने शाहपुरा पंचायत समिति की प्रधान से जुडे मामले में कहा है कि वह निर्वाचित प्रधान नहीं है और उन्हें राज्य सरकार ने इस पद का कार्यभार सौंपा है। ऐसे में वे कोई भी बैठक आहूत ना करें। वहीं अदालत ने किसी भी प्रकार का निर्णय भी नहीं लेने को कहा है। अदालत ने कहा है कि यदि नियम अनुमति देते हैं तो राज्य सरकार प्रधान पद के लिए चुनाव आयोजित करा सकते हैं। जस्टिस अशोक कुमार जैन और अवकाशकालीन न्यायाधीश मुकेश राजपुरोहित की खंडपीठ ने यह आदेश मंजू देवी शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता प्रदीप कलवानिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता शाहपुरा पंचायत समिति की वार्ड संख्या 15 से सदस्य निर्वाचित हुई थी। वहीं बाद में सभी वार्ड सदस्यों ने उसे प्रधान के रूप में चुना था। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने शाहपुरा नगर परिषद के क्षेत्र का विस्तार करते हुए इसमें याचिकाकर्ता के वार्ड को भी शामिल कर लिया। वहीं बाद में उसे यह कहते हुए वार्ड सदस्य पद से हटा दिया कि अब वार्ड का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। इसके बाद गत 15 मई को याचिकाकर्ता से प्रधान पद का कार्यभार लेकर उसे पंचायत समिति के वार्ड नंबर 9 की सदस्य पिस्ता देवी को सौंप दिया। इसके चुनौती देते हुए कहा गया कि उसका वार्ड सदस्य के रूप में अलग चुनाव हुआ था और बाद में प्रधान पद के लिए अलग से मतदान हुआ था। ऐसे में वार्ड का अस्तित्व समाप्त होने के आधार पर उसे प्रधान पद से नहीं हटाया जा सकता। इसलिए दूसरे वार्ड सदस्य को सौंपा गया कार्यभार का आदेश रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कार्यवाहक प्रधान को बैठक आहूत करने और किसी भी तरह का निर्णय लेने पर रोक लगा दी है।
—————
(Udaipur Kiran)
