लखनऊ, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) ।औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में शासनादेशों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमानी करने एवं पिछले दो-तीन स्थानांतरण सत्र में स्थानांतरण आदेश जारी होने के बाद भी पिछले 25-30 वर्षों से नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यूपीसीडा और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण में अंगद की तरह पांव जमाए बैठे पांच अधिकारियों को शासन ने गुरुवार को निलंबित कर दिया। औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में शासन की इस बड़ी कार्रवाई से प्राधिकरणों में खलबली मची हुई है।
शासन द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं वित्तीय वर्ष 2023-24 में कई कार्मिकों का स्थानांतरण किया गया था। लेकिन सम्बंधित विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शासनादेशों का खुला उल्लंघन करते हुए अपने चहेते कार्मिकों को कार्यमुक्त न करके अपने पास ही रखा गया। जिसको लेकर शासन द्वारा सम्बंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को कई बार पत्र भेजा गया। लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों ने शासन के पत्रों को गम्भीरता से नहीं लिया और शासनादेशों का खुला उल्लंघन करते हुए कार्मिक अपने पदों पर ही जड़ जमाए डटे रहे।
स्थानांतरण राज्य सरकार के सुचारू कार्य सम्पादन की एक सामान्य प्रक्रिया के साथ-साथ कार्य कुशलता के दक्षता के मानदण्डों को प्रखर बनाए जाने की एक सतत प्रक्रिया है। ऐसे में यदि कुछ कार्मिकों द्वारा स्थानांतरण के निर्देशानुसार कार्यभार ग्रहण नहीं किया जाता है तो यह संतुलन बिगड़ता है और कार्य की गति प्रभावित होती है।
स्थानांतरण के बावजूद पदों पर जमे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मनमानी को गंम्भीरता से लेते हुए गुरूवार को नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यीडा और यूपीसीडा में तैनात पांच अधिकारियों को निलम्बित करने का आदेश जारी किया। जिनमें कैलाशनाथ श्रीवास्तव सहायक महाप्रबंधक यूपीसीडा, आरके शर्मा प्रबंधक सिविल नोएडा, राम आसरे गौतम वरिष्ठ प्रबंधक सिविल ग्रेटर नोएडा, गुरविंदर सिंह वरिष्ठ प्रबंधक ग्रेटर नोएडा, राजेंद्र भाटी उप महाप्रबंधक सिविल यीडा शामिल हैं।
(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा