
रामबन, 14 मई (Udaipur Kiran) । रामबन में चिनाब नदी पर बने बगलिहार जलविद्युत परियोजना बांध के सभी गेट लगातार दूसरे दिन भी बंद हैं। जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के बाद 8 मई को बगलिहार बांध के गेट खोले गए थे, जिससे बाढ़ आने की आशंका थी।पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम के बाद भी भारत सरकार सिंधु जल संधि पर अपना रुख बनाए हुए है, जो अभी भी स्थगित है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद संधि को निलंबित कर दिया गया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के तहत तीन नदियों अर्थात् रावी, सतलुज और ब्यास (पूर्वी नदियों) का औसत लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) का पूरा पानी भारत को विशेष उपयोग के लिए आवंटित किया गया था। पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का औसत लगभग 135 एमएएफ का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया था। भारत को पश्चिमी नदियों पर रन ऑफ द रिवर आरओआर परियोजनाओं के माध्यम से जलविद्युत उत्पन्न करने का अधिकार भी दिया गया है, जो डिजाइन और संचालन के लिए विशिष्ट मानदंडों के अधीन अप्रतिबंधित है।
भारत ने सतलुज पर भाखड़ा बांध, ब्यास पर पोंग और पंडोह बांध और रावी पर थीन रंजीतसागर का निर्माण किया है। इन भंडारण कार्यों के साथ-साथ ब्यास-सतलज लिंक, माधोपुर-ब्यास लिंक, इंदिरा गांधी नहर परियोजना आदि ने भारत को पूर्वी नदियों के अधिकांश जल का उपयोग करने में मदद की है।—————————
(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता
