

गुजविप्रौवि में ‘लाइब्रेरी ऑटोमेशन एंड डिजिटलाइजेशन’ विषय पर दो सप्ताह का रिफ्रेशर कोर्स शुरूहिसार, 5 मई (Udaipur Kiran) । गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि पुस्तकालय केवल पुस्तकों से भरा कमरा नहीं, बल्कि यह किसी भी शिक्षण संस्थान का हृदय होता है। पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है, जहां जिज्ञासा अपने उत्तर पाती है और शोध अपना पहला कदम रखता है। पुस्तकालय में विद्यार्थी विचारक और समस्या-समाधानकर्ता बनते हैं। किसी भी अच्छे शिक्षण संस्थान के लिए केवल कक्षाएं और प्रयोगशालाएं ही नहीं, बल्कि एक अच्छा पुस्तकालय भी जरूरी है।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई साेमवार काे विश्वविद्यालय के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र (एमएमटीटीसी) के सौजन्य से ‘लाइब्रेरी ऑटोमेशन एंड डिजिटलाइजेशन’ विषय पर शुरु हुए दो साप्ताहिक रिफ्रेशर कोर्स के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि वर्तमान डिजिटल युग में विद्यार्थी एक क्लिक से जर्नल और शोध पत्र एक्सेस करना चाहते हैं। इसलिए पुस्तकालय को समय के साथ बदलना होगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन नामक एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। इससे कोई भी विद्यार्थी चाहे व किसी बड़ेविश्वविद्यालय में या ग्रामीण क्षेत्र के छोटे महाविद्यालय में पढ़ रहा हो, वह उच्च गुणवत्ता वाले डिजिटल संसाधनों तक पहुंच सकता है। उन्होंने बताया कि डा. एसआर रंगनाथन को भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने आधुनिक पुस्तकालयों के बारे में हमारी सोच को आकार दिया।
एमएमटीटीसी के सेमिनार हॉल में हुए उद्घाटन समारोह में दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के डा. राजेश सिंह मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता एमएमटीटीसी की निदेशिका प्रो. सुनीता रानी ने की। डा. राजेश सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि शोध व शिक्षण में पुस्तकालयों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रो. सुनीता रानी ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि वर्तमान तकनीकी युग में पुस्तकालय पेशेवरों की भूमिका और अधिक चुनौतीपूर्ण व महत्वपूर्ण हो गई है। पुस्तकालय राष्ट्र निर्माण की नींव होते हैं। पुस्तकालय ही विद्यार्थियों के कौशल को निखारकर उनको एक महान व उपयोगी नागरिक बनाने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना और बाद में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी की सेवा के दौरान उन्होंने पाया कि पुस्तकालय किसी भी राष्ट्र की अमूल्य धरोहर होते हैं। कार्यक्रम समन्वयक डा. नरेन्द्र कुमार ने कार्यक्रम की गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी तथा बताया कि इस कोर्स में 25 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम समन्वयक सोमदत्त ने धन्यवाद किया। इस अवसर पर उपनिदेशक डा. हरदेव सिंह व डा. अनुराग सांगवान उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
