– नवंबर के महीने में नए एसआईपी की संख्या अक्टूबर के महीने की तुलना में घटी
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (Udaipur Kiran) । घरेलू शेयर बाजार में नवंबर के महीने में भी लगातार दबाव बना रहा, लेकिन म्युचुअल फंड्स में एसआईपी के जरिए होने वाले निवेश पर इस महीने कोई विशेष असर नहीं पड़ा। नवंबर के महीने में भी अक्टूबर के महीने के बराबर ही एसआईपी के जरिए निवेश किया गया। हालांकि, नवंबर के महीने में नए एसआईपी की संख्या अक्टूबर के महीने की तुलना में घट गई। नवंबर में नए एसआईपी की संख्या 49,46,408 रही, जबकि अक्टूबर के महीने में ये आंकड़ा 63,69,919 का था।
अक्टूबर के महीने में एसआईपी के जरिए 25,323 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। नवंबर में निवेश का ये आंकड़ा 25,320 करोड़ रुपये रहा, जो अक्टूबर की तुलना में सिर्फ 3 करोड़ रुपये कम है। हालांकि, नवंबर के महीने में एसआईपी अकाउंट की संख्या 10.22 करोड़ के स्तर तक पहुंच गई, जो अभी तक का सर्वोच्च स्तर है। इस आंकड़े से इस बात का भी पता चलता है कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिहाज से एसआईपी अभी भी इन्वेस्टर्स के लिए पहली पसंद बना हुआ है।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि नवंबर के एसआईपी आंकड़े आ जाने के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि अभी भी इन्वेस्टर्स का भरोसा इक्विटी और म्युचुअल फंड्स पर बना हुआ है। विशेष रूप से रिटेल इन्वेस्टर अभी भी एसआईपी के जरिए म्युचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट कर रहे हैं। रिटेल इन्वेस्टर्स द्वारा इक्विटी मार्केट और म्युचुअल फंड्स में लगातार निवेश करने के कारण विदेशी निवेशकों द्वारा जमकर की जा रही बिकवाली का घरेलू शेयर बाजार पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर और नवंबर के महीने में बिकवाली के तमाम रिकॉर्ड्स तोड़ दिए हैं, लेकिन इसका सकारात्मक पक्ष ये रहा है कि इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों, विशेष रूप से म्युचुअल फंड्स ने इक्विटी मार्केट में जमकर खरीदारी की है। यही वजह है कि विदेशी निवेशकों द्वारा की गई बिकवाली से शेयर बाजार प्रभावित जरूर हुआ, लेकिन पूरी तरह से ध्वस्त होने से बच गया। सबसे बड़ी बात तो ये है कि शेयर बाजार ने घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी के सपोर्ट से अब वापसी शुरू कर दी है।
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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक