Uttar Pradesh

विंध्य क्षेत्र के घाटों पर व्रती महिलाओं की गूंज, हे छठी मइया हमरे ललना की लंबी करिहा उमरिया…

ललही माता की पूजा करती व्रती महिलाएं

– महिलाओं ने रखा ललही छठ का व्रत, पुत्र के दीर्घायु की कामना

– ललही छठ को लेकर सुबह से ही महिलाओं में उत्साह

मीरजापुर, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । छठ मइया हमरे ललना की लंबी करिहा उमरिया… भक्तिभाव से भरी गीत की ये पंक्तियां विंध्य क्षेत्र की घाटों पर गूंज रही थी। मौका था ललही छठ पर्व का। व्रती महिलाएं में छठ पूजा का विशेष उल्लास दिखा। जनपद में पुत्र की दीर्घायु के लिए ललही छठ का पर्व शनिवार को परंपरागत ढंग व उत्साह के साथ मनाया गया। तालाब, सरोवरों व नदी के किनारे स्थापित ललही माता के दर पर पहुंचीं व्रती महिलाओं ने दही, महुआ व चावल चढ़ाकर पूजन-अर्चन किया और पुत्र की दीर्घायु की कामना की।

ललही छठ को लेकर सुबह से ही महिलाओं में उत्साह दिखने लगा था। थाल में दही, महुआ, चावल सहित अन्य पूजन सामग्री सजाकर महिलाएं तालाब व नदी के किनारे स्थित ललही देवी के स्थान पर पहुंचने लगी। इस दौरान विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया गया। महिलाएं सामूहिक रूप से गीत भी गाती रहीं। पौराणिक मान्यता है कि ललही देवी की पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति के साथ उनकी उम्र लंबी होती है। कचहरी घाट, बरियाघाट समेत विंध्याचल से लेकर जिले भर के घाटों और तालाबों के भीटों पर व्रती महिलाओं ने पुत्र की दीर्घायु की कामना के साथ पूजा-अर्चना की।

ललही छठ को हल षष्ठी या हल छठ भी कहा जाता है। यह पर्व बलराम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस व्रत की पूजा के लिए माताओं ने भैंस के गोबर से पूजा घर में दीवार पर हर छठ माता का चित्र बनाया और उनकी पूजा अर्चना की। इसके साथ ही भगवान गणेश और माता गौरी की पूजा की गई। हलषष्ठी की पूजा करते हुए बुजुर्ग महिलाओं ने पर्व की कथा और महत्व को बताते हुए कहा कि भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म भादों मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हुआ था।

(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा / मोहित वर्मा

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