Uttar Pradesh

यूपी की ग्राम पंचायतें कर रहीं टीबी मुक्त भारत का सपना साकार

टीबी मुक्त भारत

– प्रदेश में 7,191 और ग्राम पंचायतें हुईं टीबी मुक्त, कुल संख्या हुई 8,563

– वर्ष-23 में प्रदेश की 1,372 ग्राम पंचायतें हुईं थीं टीबी मुक्त

लखनऊ, 15 अप्रैल (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वर्ष 2025 के अंत तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने की मुहिम रंग ला रही है। सीएम योगी के प्रयासों से ही प्रदेश में 8,563 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त हो चुकी हैं। अन्य ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त करने के लिए प्रयास जारी हैं। योगी सरकार के प्रदेश को टीबी मुक्त करने के संकल्प की दिशा में खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में टीबी के उन्मूलन की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है। खास बात यह है कि इनमें से 435 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जो लगातार दूसरे वर्ष टीबी मुक्त घोषित हुई हैं।

टीबी मुक्त ग्राम पंचायतों की जन भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में अहम पहलराज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर के अनुसार प्रदेश में कुल 57,783 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से वर्ष 2023 में 1,372 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त घोषित हो चुकी थीं। वर्ष 2024 में 7,191 ग्राम पंचायतों ने टीबी मुक्त होने का दर्जा प्राप्त किया है । हाल ही में जिला स्तर पर इन सभी ग्राम पंचायतों को महात्मा गांधी की प्रतिमा एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इन पंचायतों को टीबी मुक्त करने में महिला ग्राम प्रधानों ने भी अहम भूमिका निभाई है।

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि टीबी जैसी सामाजिक स्वास्थ्य समस्या से निपटने के लिए सरकार युद्ध-स्तर पर प्रयास कर रही है। टीबी मरीज़ों के लिए जांच, इलाज और अन्य सुविधाओं का दायरा बढ़ाया गया है। “टीबी-मुक्त ग्राम पंचायत” मुख्य रूप से जन भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में अहम पहल है। इस कार्यक्रम ने ग्रामीण समुदायों को टीबी की पहचान, उपचार और रोकथाम के लिए सशक्त बनाया है, जिससे न केवल बीमारी को खत्म करने की दिशा में सामूहिक प्रयास को बढ़ावा मिला है बल्कि इससे जुड़ी गलत धारणाओं और कलंक को कम करने में भी सफलता मिली है।

बहराइच के लिए मिसाल बन गईं महिला प्रधान अनीता देवी

बहराइच के जिले की कारीडीहा ग्राम पंचायत को दूसरी बार टीबी मुक्त बनाकर ग्राम प्रधान 36 वर्षीया अनीता देवी ने ग्राम पंचायतों के सामने नई मिसाल पेश की है। अनीता देवी बताती हैं कि कारीडीहा को टीबी मुक्त बनाने की यह यात्रा साझा प्रयास था, जिसके लिए स्थानीय नेतृत्व और सरकारी तंत्र सबका सहयोग मिला। ग्राम प्रधान अनीता देवी ने जहां गांव को जागरूक करने की जिम्मेदारी उठाई, वहीं सीएचओ और आशा कार्यकर्ताओं ने टीबी की जांच, दवा और परामर्श की व्यवस्था गांव की चौखट तक पहुंचाई। अनीता देवी की योजना है कि गाँव के बाहर टीबी मुक्त पंचायत – कारीडीहा का बोर्ड लगाया जाए और दीवारों पर जागरूकता स्लोगन लिखवाए जाएँ, ताकि हर कोई यह जान सके लक्षण दिखें तो न छिपाएं, तुरंत आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर जांच कराएं।

प्रधान बने तो जुट गए ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त कराने में फतेहपुर के धाता ब्लाक के घोषी गांव के प्रधान 52 वर्षीय दशरथ ने ग्राम पंचायत के तीन गांवों को टीबी मुक्त करने के लिए जो प्रयास किए, वे प्रेरणादायक हैं। दशरथ ने चार वर्ष पहले प्रधान का पद संभाला लेकिन गांव को स्वस्थ रखने का जूनून उनमें कई वर्षों पहले से था। वह बताते हैं कि यदि अपने या पड़ोसी गांव में कोई भी व्यक्ति बीमार दिखता तो वह तुरंत उसे बाइक पर बिठाकर सरकारी अस्पताल लेकर जाते थे। जब दशरथ प्रधान बने तो उनके गांव में आठ टीबी रोगी थे। उन्होंने इन सभी मरीजों की स्वयं निगरानी की और सुनिश्चित किया कि इनका इलाज पूरा हो। आशा कार्यकर्ता के संपर्क में आने के बाद उन्होंने टीबी और अन्य संक्रामक बीमारियों के खिलाफ लड़ाई को और मज़बूत कर लिया। दशरथ का कहना है – “टीबी से लड़ाई में सबको आगे आना होगा, तभी इसे जड़ से समाप्त किया जा सकेगा।

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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