
देहरादून, 06 फरवरी (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के बाद सभी प्रकार के पंजीकरण किए जा रहे हैं। यूसीसी के तहत लिव इन पंजीकरण के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच केवल रजिस्ट्रार के स्तर पर ही होगी, इसमें किसी अन्य एजेंसी की भूमिका नहीं होगी।
प्रो. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि यूसीसी नियमों के अनुसार लिव इन आवेदन प्राप्त होने पर रजिस्ट्रार की ओर से जिला पुलिस अधीक्षक के माध्यम से स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी को लिव इन संबंध का कथन मात्र इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा। स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी सहित किसी भी व्यक्ति की इस अभिलेख तक पहुंच सिर्फ जिला पुलिस अधीक्षक की निगरानी में हो सकेगी। नियमों में स्पष्ट किया गया है कि पुलिस के साथ सूचना साझा करते समय निबंधक को स्पष्ट रूप से उल्लेख करना होगा कि लिव इन संबंध के कथन से संबंधित सूचना मात्र अभिलेखीय प्रयोजन के लिए उपलब्ध कराई जा रही है। इससे साफ है कि इस तरह के आवेदन में उच्च स्तर की गोपनीयता बनी रहेगी।
उन्होंने कहा कि चूंकि लिव इन से पैदा बच्चे को भी जैविक संतान की तरह पूरे अधिकार दिए गए हैं, इस तरह लिव इन पंजीकरण से विवाह नामक संस्था मजबूत ही होगी, जो हमारे समाज की समृद्धि का आधार रही है।
(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
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