
धमतरी, 5 मई (Udaipur Kiran) । सोंढूर बांध प्रभावित परिवारों ने काबिज भूमि के पट्टे को राजस्व अभिलेखों में दुरस्त करने की मांग को लेकर पांच मई को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। सौंपे ज्ञापन में बताया कि है काबिज भूमि पर कृषि सुविधाओं और योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे ग्रामीण बीरचंद, दिनेश पटेल, श्याम लाल नेताम गोवर्धन कुंजाम, देवकुमार पटेल और बुदधु राम कुंजाम ने बताया कि 45 परिवार ग्राम सलोनी तहसील कुकरेल के कास्तकार है। वर्ष 1988 में सोंढूर बांध निर्माण के समय विस्थापित कर ग्राम सलोनी में पांच एकड़ कृषि भूमि एवं 1500 वर्ग फीट निवास के लिए पट्टा दिया गया था। तब से अपने काबिज भूमि पर कृषि कर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारे बुजुर्गों ने सन 1990 -1995 में कृषि सुविधाएं लेने जब पटवारी से संपर्क किया। तो पटवारी ने भूमि सिंचाई विभाग की है कहकर वहां भेजा। सिंचाई विभाग गए तो वन विभाग भेजता था। वन विभाग वापस पटवारी के पास भेजता था। 40 साल से एक विभाग से दूसरे विभाग भटकाया जा रहा है। हमारे बुजुर्गों की पट्टे के लिए चक्कर काटते-काटते मौत हो गई। आज हमें पूरे केस की जानकारी राजस्व विभाग से मिली है। जिसमें स्पष्ट हो रहा है की 102 परिवार को जमीन दी जानी थी।
काबिज कृषि भूमि की ऋण पुस्तिका नहीं
राजस्व विभाग द्वारा 45 परिवारों को पट्टा दिया गया, लेकिन राजस्व विभाग ने अपने अभिलेखों को दुरस्त नहीं किया। पट्टे की मूल प्रति हमारे पास है। रिकार्ड में भी सभी पट्टे की कापी लगी है। वर्तमान में 12 परिवार यहां निवासरत है। काबिज कृषि भूमि की ऋण पुस्तिका नहीं होने से किसानी करने में बहुत परेशानी हो रही है। सोसायटी से खाद, बीज और ऋण लेने का लाभ नहीं मिल रहा। समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेच पा रहे। पानी की भी सुविधा नहीं है। सलोनी के साथ ही दूसरे गांव के लोग भी हमारी जमीन पर कब्जा कर रहे है। शासन से मांग करते है कि पट्टे को राजस्व अभिलेखों में दुरस्त कर ऋण पुस्तिका प्रदान किया जाएं।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
