
जयपुर, 20 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 15 मार्च, 2018 के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत एसीबी केस में पक्षद्रोही होने के आधार पर याचिकाकर्ता सरकारी कर्मचारी की एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोकी गई थी। अदालत ने मामले में राज्य सरकार को कहा है कि वह याचिकाकर्ता को समस्त परिलाभ तीन माह में अदा करे। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश शंभु दयाल साहू की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता एचवी नंदवाना ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सार्वजनिक निर्माण विभाग में अधिकारी था। इस दौरान एसीबी केस में उसे सरकारी गवाह बनाया गया था। वहीं 15 मार्च, 2018 को विभाग ने उसकी एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोक ली। विभाग ने उसे आरोप पत्र दिया कि एसीबी केस में उसने गवाह के रूप में अभियोजन पक्ष की कहानी का समर्थन नहीं किया। ऐसे में उसे पक्षद्रोही घोषित किया गया। इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि अभियोजन पक्ष को समर्थन करना किसी भी तरह के दुराचार की श्रेणी में नहीं आता और ना ही इस आधार पर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती थी। ऐसे में उसकी वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को रद्द किया जाए। जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एसीबी केस का मुख्य गवाह था, लेकिन उसने अभियोजन पक्ष की कहानी का समर्थन नहीं किया। याचिकाकर्ता का यह कृत्य दुराचार की श्रेणी में आता है। इसके चलते उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता की वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को निरस्त करते हुए उसे समस्त परिलाभ तीन माह में देने को कहा है।
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(Udaipur Kiran)
