प्रयागराज, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । सावन के महीने में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित मांस की दुकानों को बंद करने के वाराणसी नगर निगम के हालिया आदेश को चुनौती देने के लिए बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। नगर निगम ने मांस की दुकानों को बंद करने के संबंध में कहा है, यह करना इसलिए आवश्यक है ताकि कांवड़ियों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
कांवड़ मार्ग में लगभग 100 के करीब दुकाने हैं। यह याचिका राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की तरफ से दायर की गई है। मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है गया कि नगर निगम का निर्देश न केवल अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत गारंटीकृत किसी भी व्यवसाय, व्यापार या कारोबार को करने की मौलिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ जीवन के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन करते हैं।
याचिका के अनुसार सावन में कांवड़ियों की प्रथा सदियों पुरानी है, जिसके दौरान मांस की दुकानें हमेशा खुली रहती हैं। याचिका में तर्क दिया गया कि इस तरह के निर्देश पारित करके अधिकारी पहचान के आधार पर बहिष्कार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि अधिकारियों ने इस तथ्य पर विचार किए बिना निर्देश पारित कर दिया कि उक्त निर्देश दुकानदारों की आजीविका को प्रभावित करेगा। दुकानों की आय दुकानदारों के लिए आजीविका का साधन है और मांसाहारी वस्तुओं की बिक्री के आधार पर व्यवसाय बंद करना अनुचित है और उनके व्यापार या व्यवसाय को जारी रखने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि इस तरह का निर्णय व्यक्तिगत स्वतंत्रता और भोजन की पसंद के मौलिक अधिकार के उल्लंघन को बढ़ावा देता है। क्योंकि यह उन लोगों को मांस खाने से रोकता है जो मांस खाने के इच्छुक हैं। कहा गया कि इनमें से कई दुकानें किराये पर होंगी और दुकानों के अचानक बंद होने से उन पर असर पड़ेगा। ये मांस की दुकानें ज्यादातर मुस्लिम धर्म के लोगों की हैं।
(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे / पवन कुमार श्रीवास्तव