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नई दिल्ली, 14 फरवरी (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट विधायिका को किसी विशेष तरीके से कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकती है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये टिप्पणी किसी आपराधिक मामले में चार्जशीट पर संज्ञान लेते समय शिकायतकर्ता या पीड़ित को नोटिस जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए की।
कोर्ट ने कहा कि संसद ने हर पहलू पर सोच समझकर नया कानून बनाया है। रिट याचिका में न तो हाई कोर्ट और न ही सुप्रीम कोर्ट विधायिका को ये आदेश दे सकती है कि वो कानून को खास तरीके से बनाएं। याचिका में मांग की गई थी कि निचली अदालतें और पुलिस चार्जशीट की प्रति शिकायतकर्ता या पीड़ित को मुफ्त में उपलब्ध कराए।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश वकील ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 230 के तहत अगर पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर केस नियोजित किया जाता है तो मजिस्ट्रेट और पुलिस आरोपित और पीड़ित दोनों को मुफ्त में चार्जशीट और दस्तावेजों की प्रति उपलब्ध कराते हैं। तब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता की धारा 230 शिकायतकर्ता या पीड़ित के सुने जाने के अधिकार का कोई जिक्र नहीं है। याचिका में मांग की गई है जिला अदालतें किसी चार्जशीट पर संज्ञान लेते समय शिकायतकर्ता या पीड़ित को नोटिस जारी कर उनका भी पक्ष पूछे।
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(Udaipur Kiran) / पवन कुमार
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