
उज्जैन, 21 मई (Udaipur Kiran) । चरक अस्पताल में बुधवार से बाउंसर तैनात हो गए हैं। बाउंसर रखने के बाद अस्पताल परिसर में आ-जा रहे मरीजों और उनके परिजनों में तरह-तरह की चर्चाएं चल पड़ी। कानून व्यवस्था को लेकर पहली ओर आखिरी जिम्मेदारी यहां पर कोतवाली थाना पुलिस की है। बाउंसरों को रखने पर लोगों के बीच पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न चिंह लग गया है। वहीं प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि बाउंसरों द्वारा आम आदमी के साथ अस्पताल परिसर में दुव्र्यवहार किया गया तो क्या होगा?
यह है कहानी…..
सिविल सर्जन डॉ.अजय दिवाकर से इस मामले में चर्चा की गई तो उन्होने बताया कि-चरक अस्पताल में जो ठेका साफ सफाई का था,उसमें सुरक्षा का बिंदु भी शामिल था। इस बात की जानकारी निचले स्टॉफ द्वारा उन्हे नहीं दी गई थी। एक दिन पूर्व जिसप्रकार से चरक अस्पताल में हालात बने और कतिपय लोगों द्वारा लाई नाबालिग के उपचार में लापरवाही का आरोप लगाते हुए तोडफोड़ की गई,उसके बाद स्टॉफ ने उन्हे बताया कि अस्पताल में जिसके पास सफाई का ठेका है,उसे सुरक्षाकर्मी भी तैनात करने के निर्देश ठेके की शर्तो में शामिल है। इसकी राशि वह पूर्व से लेता रहा है और आगे भी लेगा।
डॉ.दिवाकर के अनुसार यह जानकारी लगने के बाद उन्होने सारी शर्तो को पढ़ा और ठेकेदार को बुलाया। बातचीत करने पर पहले वह ना-नुकुर करने लगा। इसके बाद उसने बुधवार को 8 सुरक्षाकर्मी भेजे, जोकि राउण्ड द क्लॉक ड्यूटी देंगे। डॉ.दिवाकर के अनुसार ऐसा होने से जो भी लोग अस्पताल आकर गुण्डागर्दी करेंगे,उन्हे पुलिस के आने तक संभालने का जिम्मा इन लोगों पर रहेगा। इन सुरक्षाकर्मियों को विभिन्न पाइंट पर तैनात किया गया है। ये सीसीटीवी की निगरानी में रहेंगे,ताकि यहां आने-जानेवाले लोगों के साथ दुव्र्यवहार न करे। साथ ही महिला स्टॉफ की सुरक्षा का खास ध्यान रखे।
पुलिसकर्मी क्यों नहीं है तैनात: इस प्रश्न पर डॉ.अजय दिवाकर ने कहाकि पुलिस अधीक्षक द्वारा एक-चार का गार्ड दिया गया है। चूंकि अभी अस्पताल में जगह कम होने से कक्ष उपलब्ध नहीं है,इसलिए उक्त गार्ड नहीं आए हैं। जैसे ही कक्ष की व्यवस्था होगी,एक-चार का गार्ड तैनात हो जाएगा।
कानून व्यवस्था से उपर नहीं है बाउंसर: डीआईजी
सरकारी अस्पताल में पुलिस की जगह निजी सुरक्षाकर्मियों के नाम पर बाउंसर की तैनाती को लेकर जब डीआईजी नवनीत भसीन से चर्चा की गई तो उन्होने कहा- बाउंसर निजी सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारी इस रूप में कार्य करते हैं। इनकी जिम्मेदारी सुरक्षा को लेकर रहती है लेकिन ये कानून से उपर नहीं होते हैं। न ही इनके पास पुलिस के समान कानून अपने हाथ में लेकर अपराधियों को पकडऩा या पूछताछ करना जैसे अधिकार होते हैं। ये केवल नजर रखने और पुलिस या मानीटरिंग एजेंसी को सूचित करने का काम करते हैं।
चर्चा में बाउंसरों को लेकर आम धारणा तथा जो देखने में आता है,उस अनुसार प्रश्न करने पर श्री भसीन ने कहाकि सरकारी अस्पताल में पुलिस की तैनाती समझ में आती है। बाउंसर रखने की नौबत क्यों आई,वे इस पर एसपी से चर्चा करेंगे। साथ ही निर्देश देंगे कि सभी बाउंसरों को बता दें कि कानून हाथ में न लें,ऐसा किया तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वे केवल निगरानी के लिए हैं,आम आदमी पर कानून चलाने के लिए नहीं।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
