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डॉ बाबा साहब आंबेडकर के नेतृत्व में बना भारत का संविधान लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग का बेहतरीन उदाहरण : अमित शाह

मंगलवार को गांधीनगर स्थित गुजरात विधानसभा में लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह , मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी।

-गुजरात विधानसभा में ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का समापन समारोह आयोजित

गांधीनगर, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात सरकार की पहल की सराहना करते हुए कहा कि लेजस्लेटिव ड्राफ्टिंग यानी विधायी प्रारूपण एक महत्वपूर्ण कला है। गुजरात विधानसभा द्वारा देश में पहली बार लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन का निर्णय वास्तव में सराहनीय है। उन्होंने कहा कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग की कला किसी भी कानून को बनाने का सबसे प्रारंभिक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। दोषपूर्ण लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग के परिणामस्वरूप अनेक जटिल समस्याएं पैदा होती हैं और इसके चलते उस कानून की स्पष्टता के लिए न्याय तंत्र को हस्तक्षेप करना पड़ता है।

गुजरात विधानसभा में मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का समापन समारोह आयोजित हुआ। इस समारोह में विधानसभा अध्यक्ष शंकरभाई चौधरी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल उपस्थित रहे। समारोह में केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग को कानून और उसके उद्देश्यों को संपूर्ण करने की एक अनोखी कला है। शाह ने कहा कि डॉ बाबा साहब आंबेडकर के मार्गदर्शन और परिश्रम से बना भारत का संविधान लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग का बेहतरीन उदाहरण है। संविधान की ड्राफ्टिंग अनेक महत्वपूर्ण चर्चाओं, समिति की बैठकों और आम जनता के साथ खुले मन से की गई लगभग 1600 चर्चाओं के बाद की गई थी। इतना ही नहीं, संविधान को लेकर सदन में 165 दिनों तक चर्चाओं का दौर चला था, जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल और हंसाबेन मेहता जैसे अनेक विद्वानों ने हिस्सा लेकर आवश्यक सुझाव भी दिए थे।

कानून बनाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस संबंध में अपने विचार रखते हुए शाह ने कहा कि कानून बनाते समय उसमें स्पष्टता बेहद जरूरी है। विशेषकर, कानून बनाते समय उसमें उद्देश्य की स्पष्टता हो और भाषा सरल हो तो न्याय तंत्र को अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करना पड़ता। कानूनी प्रावधानों को भी इतना स्पष्ट रखना जरूरी है कि वह लागू करने वाले की रक्षा करे और कानून का भंग करने वाले को दंडित करे। साथ ही, उन्होंने कहा कि कानून बनाते समय संबंधित विषय के विशेषज्ञों, संबंधित अधिकारियों और नागरिकों की राय एवं विचारों को भी गंभीरतापूर्वक ध्यान में लेना चाहिए।

केंद्रीय गृह मंत्री ने विधायकों से अनुरोध करते हुए कहा कि विधानसभा यानी विधेयक पारित कर नागरिकों के हित और सुरक्षा के लिए कानून बनाने वाली सभा। नागरिकों की समस्याओं को संबोधित करना और उनके हित में कानून बनाना, यही विधायकों का मुख्य काम है। इसलिए ही सभी विधायकों को कानूनी भाषा को व्यवस्थित तरीके से समझना चाहिए, चर्चाओं में हिस्सा लेकर कानून में मौजूद खामियों को दूर करने के लिए अपने सुझाव देने चाहिए।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत ने बहुपक्षीय संसदीय लोकतंत्र प्रणाली को अपनाया है, जिसके अंतर्गत लोगों के मुद्दे अलग-अलग पार्टियों के विधायकों के माध्यम से सरकार के पास पहुंचते हैं। उसके बाद सरकार द्वारा लोगों के मसलों के प्रति संवेदना रखते हुए कानून बनाए जाते हैं। देश में अंग्रेजों के समय से चली आ रही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) के अंतर्गत आने वाली धाराओं में सुधार कर भारत की नई न्याय प्रणाली का निर्माण किया गया है। इस नई न्याय प्रणाली के संपूर्ण कार्यान्वयन के बाद नागरिकों को काफी तेजी से न्याय मिलेगा। यह भारत का सबसे बड़ा बदलाव (रिफॉर्म) साबित होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज वैश्विक आकांक्षाओं का केंद्र बन गया है, जिसका आधार बिंदु गुजरात है। गुजरात विधानसभा का यह पावन सदन मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात के विकास के लिए किए गए संकल्पों और गुजरात की अविरत विकास यात्रा का गवाह है।

गुजरात के गृह मंत्री और विधायक के रूप में 1997 से 2017 तक के 20 वर्षों के कार्यकाल के अच्छे-बुरे संस्मरणों को याद करते हुए अमित शाह ने कहा कि इसी विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की जनता को 24 घंटे अविरत बिजली देने का संकल्प प्रस्तुत किया था। वर्ष 2003 से ज्योतिग्राम योजना लागू कर गुजरात के प्रत्येक नागरिक तक 24 घंटे थ्री-फेज बिजली देने वाला गुजरात देश का पहला राज्य बना था।

गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष शंकरभाई चौधरी ने कहा कि अंग्रेजों के समय में कानून की भाषा बहुत ही क्लिष्ट थी, लेकिन आज हमारे देश में लोकतंत्र है, इसलिए जनतंत्र में कानून की भाषा सरल और समझने में आसान होनी चाहिए। चौधरी ने कहा कि कानून जनता के कल्याण के लिए होता है। यदि कानून की ड्राफ्टिंग में भूल होती है, तो उससे जनता की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि कानून के नियमों के अधीन शासन व्यवस्था में कानून निर्माण से जुड़े अधिकारियों की सज्जता आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि हमारे संविधान में वेलफेयर स्टेट की भावना के साथ नागरिकों को केन्द्र में रखा गया है। संविधान या कानून रिजिड न हों, बल्कि उनमें समय-समय पर सुधार की गुंजाइश रहे, ऐसी कॉन्स्टिट्यूशन रैमिडीज का प्रावधान संविधान में है। समारोह को वैधानिक एवं संसदीय मामलों के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में गुजरात के मुख्यमंत्रित्व काल में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री के रूप में अमित शाह द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत किए गए महत्वपूर्ण विधेयकों के संस्मरणों को दृश्य-श्राव्य माध्यम से प्रस्तुत किया गया।

विधानसभा सदन में आयोजित विधायिका-विधायक-विधेयक तथा लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद, विधायक, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व उप मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, आमंत्रित अतिथि, विभिन्न अखबार-न्यूज चैनलों के सम्पादक-पत्रकार, उच्च आईएएस अधिकारी और कानून की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय

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