शिमला, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश तीव्र गति से विकास के पथ पर अग्रसर है और भविष्य हिमाचल प्रदेश के लोगों का है। पिछले दो वर्षों के दौरान प्रदेश सरकार ने इस दिशा में बहुआयामी कार्य किए हैं। प्रदेश सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास के लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है और इस दिशा में नीतिगत और ठोस निर्णय लिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री सुक्खू सोमवार सांय जिला कांगड़ा के टांडा में एक दैनिक समाचार-पत्र द्वारा आयोजित ‘हिमाचल की आवाज’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
सुक्खू ने पिछली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने वोट बैंक के लिए तुष्टीकरण की राजनीति की और प्रदेश के खजाने को खाली किया। भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान गुणात्मक शिक्षा की दिशा में कार्य नहीं किया गया और प्रदेश में समुचित स्टाफ की नियुक्तियों के बिना शैक्षणिक संस्थान खोले गए, जिसके फलस्वरूप हिमाचल देशभर में गुणात्मक शिक्षा में फिसलकर 21वें स्थान पर आ गया है। उनके कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण की दिशा में भी कार्य नहीं किए गए और जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि पूर्वाेत्तर भारत के बाद हिमाचल प्रदेश में कैंसर रोगियों की दर सबसे अधिक है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में ठोस प्रयास कर रही है, जिसके परिणाम अब देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश सरकार वॉक-इन-इंटरव्यू के माध्यम से 900 नर्सों और चिकित्सकों की नियुक्ति कर रही है और शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेसहारा बच्चों को सहारा देने के लिए प्रदेश सरकार ने छह हजार बेसहारा बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाया है। उनके लिए सुख आश्रय कोष की स्थापना की गई है, जिसमें 110 करोड़ रुपये का अंशदान प्राप्त हुआ है। राज्य सरकार विधवाओं के 23 हजार बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है। प्रदेश सरकार ने हाल ही में नशे के कारोबारियों के विरूद्ध अभियान शुरू किया है। इसके अलावा, जिला सिरमौर के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के कोटला बड़ोग में राज्य स्तरीय नशा निवारण एवं पुनर्वास केन्द्र स्थापित किया जा रहा है। दिव्यांगजनों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से जिला सोलन के कंडाघाट में उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किया जा रहा है।
प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों के बारे में सुक्खू ने कहा कि सतलुज जल विद्युत निगम 67 हजार करोड़ रुपये की कंपनी बन गई है, जबकि हिमाचल प्रदेश का वार्षिक बजट 58 हजार करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के संसाधनों को नष्ट नहीं होने दिया जाएगा। सतलुज जल विद्युत निगम प्रदेश सरकार की शर्तों की अनुपालना नहीं करता है तो इस स्थिति में राज्य सरकार तीनों परियोजनाओं का अधिग्रहण करेगी। प्रदेश सरकार शानन परियोजना भी पंजाब सरकार से वापिस लेगी।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा