
उज्जैन,25 मार्च (Udaipur Kiran) । धार्मिक और पौराणिक फिल्मों का फेस्टिवल हमारे लिए एक चुनौती था। आज पौराणिक फिल्मों का अंतरराष्ट्रीय महोत्सव हमारे गौरवशाली अतीत को सामने लाने का काम कर रहा है। आप सभी को पता है कि भारत का अतीत काफी सुंदर पृष्ठों से सजा है, जिसे सभी को पढऩा और देखना चाहिए।
यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को कालिदास संस्कृत अकादेमी में पौराणिक फिल्मों के अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के समापन समारोह में कही। उन्होने कहाकि अतीत की कालजयी फिल्मों का प्रदर्शन अपने आप में अद्भुत है। आज से 5000 साल पुराने भगवान श्रीकृष्ण के अतीत को समाज के सामने लाने का प्रयास सराहनीय है। मैं इस आयोजन के लिए आयोजकों का अभिनंदन करता हूँ।
उन्होंने बताया कि सम्राट विक्रमादित्य पर भी फिल्म बनी। इसके लिए पृथ्वीराज कपूर स्वयं उज्जैन आए थे। विक्रमादित्य की बात भारत की बात नहीं पूरे विश्व की बात है, जिन्होंने अपने शासन से पूरे विश्व को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि विक्रमोत्सव में लगातार नए आयाम जुड़े रहे हैं। इसका स्वरूप अंतरराष्ट्रीय हो रहा है। पुरानी फिल्मों का यह समारोह हमारी प्राचीन विरासत, वैभव और संस्कृति को जानने के लिए एक बहुत बेहतर प्रयास है। भारतीय वैभव और विरासत से विश्व को परिचित करवाना हमारा काम है।
सूरीनाम की राजनयिक सुनैना ने कहा-सभी को सादर प्रणाम, राम-राम, जय महाकाल। मैं उज्जैन शहर में दो दिनों से हूँ। उन्होंने कहा कि भगवान कण-कण में है,जहाँ प्रेम निष्ठा है वही भगवान प्रकट होते हैं,यही उज्जैन है। हर व्यक्ति में उज्जैन है। स्वागत उद्बोधन मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार एवं महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने दिया। अतिथियों का स्वागत विक्रमोत्सव आयोजन समिति के सदस्य राजेशसिंह कुशवाह ने किया।
(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
