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चीफ जस्टिस ने अपने विदाई समारोह में कहा- मैं ट्रोल किए जाने वाले जजों में से एक

सीजेआई को बार एसोसिएशन की तरफ से सम्मानित करते अध्यक्ष कपिल सिब्बल

नई दिल्ली, 08 नवंबर (Udaipur Kiran) । चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित अपने विदाई समारोह में कहा कि मैं सबसे अधिक ट्रोल किए जाने वाले जजों में से एक हूं। उन्होंने कहा कि सवाल तो अब उन ट्रोल करने वालों के लिए है, जो 11 नवंबर से क्या करेंगे। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने सीजेआई के कार्यकाल में किये गए अहम फैसलों का उल्लेख करते हुए धन्यवाद दिया। इसके बाद सीजेआई को बार एसोसिएशन की तरफ से सम्मानित किया गया।

चीफ जस्टिस ने बशीर बद्र का एक शेर पढ़कर ट्रोल करने वालों को जवाब दिया। उन्होंने जो शेर पढ़ा वो है ‘मुख़ालिफ़त से मेरी शख़्सियत संवरती है मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूं’। अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सूर्य का प्रकाश सबसे अच्छा कीटाणुनाशक है। मैं जानता हूं कि मैंने कई तरीकों से अपने निजी जीवन को सार्वजनिक ज्ञान के सामने उजागर किया है। जब आप अपने जीवन को सार्वजनिक ज्ञान के सामने उजागर करते हैं, तो आप खुद को आलोचना के लिए भी उजागर करते हैं, खासकर आज के सोशल मीडिया के युग में। मेरे कंधे इतने चौड़े हैं कि हम उन सभी आलोचनाओं को स्वीकार कर सकते हैं, जिनका हमने सामना किया है। बार ने हमारे द्वारा उठाए गए सभी कदमों को जबरदस्त समर्थन दिया है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि जब मैं बचपन में बीमार होता तो मेरी मां कहती कि औषधि नारायण के हाथों से मिलती है। डॉक्टर नारायण का स्वरूप है। उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी ने बार के कई महान वकीलों को भी पढ़ाया। वो काफी अनुशासित थे। उन्होंने पुणे में एक छोटा फ्लैट लिया। मैंने पूछा तो उनका उत्तर था कि इसे अपनी सेवा के अंतिम दिन तक रखना, क्योंकि कभी भी अपने सिद्धांतों की वजह से ऐसी कोई स्थिति आए तो तुम्हें भरोसा रहेगा कि तुम्हारे सिर पर छत है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने दो दिन पहले राजस्थान में दो ऐसे दृष्टिहीन छात्रों को लेकर आदेश दिया, जिनको साक्षात्कार में शामिल नहीं होने दिया गया, जबकि वो प्रतिभाशाली थे, मेरिट में थे। आईआईटी, धनबाद में एक दलित प्रतिभाशाली बच्चे का दाखिला करवाया। उसके पास 17500 रुपये नहीं थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि वकील मुकदमे लेने या ना लेने का फैसला कर सकते हैं, लेकिन जज बनने के बाद ऐसा नहीं किया जा सकता। इस डर की भावना से ऊपर उठना होता है। बार की अहमियत भी तभी पता चलती है। रोज नया ज्ञान और नया तौर तरीका सीखने को मिलता है।

कॉलेजियम पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने कॉलेजियम की बैठक में कई बार कठिन निर्णय लिया है। हमारे बीच कभी भी मतभेद नहीं रहा है। सभी बैठकें सुखद माहौल में हुईं। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं रहा, क्योंकि हम यहां पर खुद के एजेंडे के साथ नहीं हैं, बल्कि संस्थान के हित और सेवा के लिए हैं। चीफ जस्टिस 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अंतिम कार्य दिवस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में परंपरा के मुताबिक सेरेमोनियल बेंच बैठी। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली इस सेरेमोनियल बेंच में मौजूदा और अगले मुख्य न्यायाधीश साथ में बैठकर कुछ मामलों की सुनवाई करते हैं।

अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जिस समय मैंने मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला, मैंने पाया कि करीब 1,500 फाइलें रजिस्ट्रार की अलमारी में बंद पड़ी थीं। मैंने कहा कि इसे बदलना होगा। 09 नवंबर, 2022 और 1 नवंबर, 2024 के बीच 1.11 लाख मामले दर्ज किए गए। 05.33 लाख मामले सूचीबद्ध किए गए और 1.07 लाख मामलों का निपटारा किया गया। एक जनवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट में 79,500 मामले लंबित थे, जिनमें वे भी शामिल हैं, जिन्हें हम अब अपंजीकृत या दोषपूर्ण मामले कहते हैं। एक जनवरी, 2022 को यह संख्या 93,000 मामलों तक पहुंच गई। एक जनवरी 2024 को यह संख्या घटकर 82,000 मामले हो गई है। अपंजीकृत मामलों की संख्या में पिछले दो वर्षों में 11,000 से अधिक की कमी आई है।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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