
जयपुर, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने आयुर्वेद चिकित्सकों की रिटायरमेंट आयु 60 साल से बढ़ाकर 62 साल करने के मामले में दिए आदेश की पालना नहीं करने को गंभीरता से लिया है। इसके साथ ही अदालत ने आयुर्वेद निदेशक को हाजिर होकर बताने को कहा है कि आदेश की पालना क्यों नहीं की गई। हालांकि अदालत ने कहा है कि यदि दो सप्ताह में आदेश की पालना कर ली जाती है तो निदेशक को अदालत में पेश होने की जरुरत नहीं है। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. महेन्द्र गुप्ता व अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता एनके गर्ग ने बताया हाईकोर्ट ने 13 जुलाई 2022 को आदेश जारी कर आयुर्वेद चिकित्सकों की रिटायरमेंट आयु 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दी थी। इस पर राज्य सरकार की ओर से इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने गत 30 जनवरी को हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की एसएलपी खारिज कर दी। राज्य सरकार ने एसएलपी खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर कर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को 2024 को पूर्व के फैसले को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की रिव्यू पिटीशन भी खारिज कर दी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी व रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद भी राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है। इसलिए आदेश की पालना करवाई जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने दो सप्ताह में आदेश की पालना नहीं होने पर आयुर्वेद निदेशक को हाजिर होकर जवाब देने को कहा है।
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(Udaipur Kiran)
