मीरजापुर, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । विंध्याचल के मोतीझील मार्ग पर रामलीला के भव्य मंच पर राम वनगमन का भावपूर्ण मंचन किया गया, दर्शकों के नयन छलक उठे। मंगलवार की रात को मंच पर राम वनगमन के साथ ही लक्ष्मण व परशुराम संवाद, कैकेई मंथरा संवाद का भावपूर्ण मंचन किया।
विंध्याचल में चल रहे दस दिवसीय रामलीला के चौथे दिन का मंचन देखने को दर्शकों का रेला उमड़ पड़ा। मोतीझील मार्ग स्थित भंडारा स्थल परिसर में आयोजित रामलीला मंचन के पूर्व श्रीराम और लक्ष्मण की भव्य आरती मुख्य अतिथि समाजसेवी दामोदर द्विवेदी ने की। श्रीराम और सीता के विवाह के बाद अयोध्या पहुंचते ही राम के राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थी तभी कैकेई की दासी मंथरा ने उन्हें राम वनगमन का वरदान मांगने के लिए प्रेरित किया। उधर राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ के परामर्श पर राम को राजा बनाने की घोषणा करते हैं। दासी मंथरा कुपित होकर रानी के कान भरती है, उसकी बातों में आकर कैकई कोप भवन में चली जाती हैं। वे राजा दशरथ को अपने दो वचन याद दिलाती हैं और उसे मांगते हुए कहती है कि उनके पुत्र भरत को राजगद्दी और राम को चौदह वर्ष के लिए वनवास भेजा जाए।
ंकैकेई के वरदान में राम को वन और भरत को राजगद्दी की जानकारी माता कौशल्या को हुई तो वह बेचौन हो उठी। महल और अयोध्या में राम वनगमन की खबर फैलते ही खुशी का माहौल शोक में बदल गया। रानी की बात सुनकर राजा दशरथ अचेत हो उठे। होश आने पर राम को संदेशा भिजवाते हैं। आने पर राम को बनवास की बात पता चलती है। पिता की आज्ञा पाकर राम, सीता और लक्ष्मण वनपथ पर प्रस्थान कर जाते हैं। रामलीला मंचन के दौरान वनगमन के भावपूर्ण दृश्य देख दर्शकों की आंखें सजल हो उठी और पंडाल में श्रीराम के जयकारे गूंजने लगे। इसके पूर्व श्रीराम की भव्य बारात ने संपूर्ण विंध्याचल क्षेत्र में भ्रमण किया। मंच संचालन कार्यक्रम संयोजक आदर्श उपाध्याय व अमन गोस्वामी ने किया।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा