मीरजापुर, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । विंध्याचल स्थित मोती झील मार्ग पर श्रीविंध्य प्राचीन रामलीला कमेटी की ओर से आयोजित दस दिवसीय रामलीला के पांचवे दिवस भावपूर्ण मंचन देखने को दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बुधवार की रात को श्रीराम और केवट संवाद प्रसंग का मनोहारी मंचन देखकर दर्शक भावविभोर हो गए। इसी क्रम में सीता हरण सहित जटायु व मामा मारीच वध का मंचन किया गया।
श्रीविंध्य प्राचीन रामलीला समिति की ओर से मोती झील मार्ग पर स्थित भंडारा स्थल प्रांगण में रामलीला का मंचन देखने देर रात तक दर्शक डटे रहे। कलाकारों ने श्रीराम व केवट संवाद प्रसंग का मनोहारी मंचन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रामलीला के क्रम में भगवान श्रीराम सरयू नदी के किनारे खड़े केवट से नदी पार करने के लिए नाव में बिठाने का आग्रह करने लगे। श्रीराम ने कहा कि हमें नदी पार करा दो और आगे जाने दो। इस पर केवट प्रभु राम के पास आया और बोला कि आप कौन हैं कहां से आए हैं और कहां जा रहे हैं, अपना परिचय दीजिए। तब श्रीराम ने केवट को अपना परिचय दिया तो केवट वहां से भाग कर कुछ दूर जाकर खड़ा हो गया और कहा कि आप वही राम है जिनके छूते ही पत्थर की शिला आसमान में उड़ गई। मेरी नाव तो लकड़ी की है, वह तो छूमंतर हो जाएगी। मैं अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करूंगा। मैं आपको नदी पार नहीं करा सकता। इस पर श्रीराम ने कहां की केवट ऐसा कोई उपाय है जिससे तू हमें नदी पार करा दो तो केवट ने कहा कि हां पहले आप चरण धूलवाएं। चरण धोने के बाद केवट ने राम को नदी पार कराई। नदी पार कराने के बाद राम ने सीता की अंगूठी केवट को नाव उतराई में दी। केवट कहने लगा कि हे प्रभु आप यह क्या कर रहे हैं और नाव उतराई लेने से इनकार कर दिया। केवट ने कहा कि मेरा घर तो यहां पर है और आपका बैकुंठधाम है। जब मैं आपके धाम आऊ तो मुझे पार लगा देना। इतना सुनकर केवट को राम ने अपने गले से लगा लिया।
इसके पूर्व रामलीला का शुभारंभ मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी लाल भट्ट ने प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और माता जानकी की पूजा अर्चन कर आरती की। श्रीराम की भूमिका में कमल मिश्र, लक्ष्मण का किरदार देवी दीक्षित, रावण की भूमिका में राज गिरी, मंत्री की भूमिका में मुन्ना बाबू मिश्र, सीता की भूमिका अंजू प्रभा, केवट की भूमिका में राज गिरी व व्यास की भूमिका गोपी मिश्र ने निभाई। मंच संचालन कार्यक्रम संयोजक आदर्श उपाध्याय ने किया।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा