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पांच साल से कम उम्र के बच्चे की संरक्षक मां, पिता की अपील खारिज

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

-मेरठ निवासी अमित धामा ने बेटी की अभिरक्षा के लिए दाखिल की थी अपील

प्रयागराज, 15 जनवरी (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे की प्राकृतिक संरक्षक मां है। पिता के साथ बेटी खुश है, सिर्फ इस आधार पर मां को बेटी की संरक्षकता से वंचित नहीं कर सकते।

न्यायालय ने बेटी की अभिरक्षा के लिए पिता की ओर से दाखिल की गई अपील को खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति डी. रमेश की खंडपीठ ने अमित धामा की अपील दिया।

मेरठ निवासी अमित धामा की शादी 23 मई 2010 को हुई थी। उन्हें एक बेटी और बेटा हुआ। इस दौरान पति-पत्नी के बीच कुछ मन मुटाव हो गया और वह अलग-अलग रहने लगे। पति-पत्नी के बीच किसी प्रकार का सुलह न होने पर पति ने तलाक के लिए पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दाखिल की। वहीं, पत्नी ने नाबालिग बेटी की अभिरक्षा के लिए याचिका दायर की है, जिसे पारिवारिक न्यायालय ने स्वीकार कर लिया। इस आदेश को पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

अपीलकर्ता के वकील ने दलील दी कि बेटी अपने पिता के साथ खुशी-खुशी रह रही है। ऐसे में बेटी की अभिरक्षा मां को दी जाती है तो बच्चे के मन में सदमा लगेगा। प्रतिवादी वकील ने इसका विरोध किया और दलील दी कि कानूनी रूप से मां ही बच्ची की प्राकृतिक संरक्षक है।

न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि ऐसा कोई आरोप मां पर नहीं लगाया गया है जिससे यह साबित हो कि मां के साथ बेटी का हित प्रभावित होगा। मां नाबालिग बेटी की प्राकृतिक संरक्षक है। पति-पत्नी के अलगाव के दौरान बेटी पिता के साथ रही है, सिर्फ इस आधार नाबालिग बेटी की अभिरक्षा पिता को नहीं दी जा सकती।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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