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पॉक्सो मामले में आरोपित को हाईकोर्ट से मिली राहत : संदेह का लाभ देकर दुष्कर्म के आरोप से किया बरी

jodhpur

जोधपुर, 25 फरवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में आरोपित पंकज को पॉक्सो अधिनियम के तहत दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग की पीठ ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए यह निर्णय सुनाया।

यह मामला 2017 का है, जब आरोपित पंकज पर एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म और मारपीट का आरोप लगा था। निचली अदालत ने पंकज को 341, 342, 323 और 324 आईपीसी और धारा 3/4 और 5(द्य)/6 पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराते हुए उसे अधिकतम 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी लेकिन उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि पीडिता ने अपने बयान में दुष्कर्म के आरोपों का समर्थन नहीं किया। उसने कहा कि पंकज ने ना तो उसके कपड़े उतारे और न ही उसके साथ कोई यौन संबंध बनाए। अदालत ने इस पर विचार करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि केवल फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला रिपोर्ट के आधार पर किसी व्यक्ति को दुष्कर्म के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता जिसमें पीडिता की उम्र 17 साल हो। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि दुष्कर्म के आरोपों का साबित होना साक्ष्यों और पीडि़ता के बयान पर भी निर्भर करता है, और संदेह के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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