Uttar Pradesh

नहर विभाग के जे. ई. का बेतुका बयान,भ्रष्टाचार से नहीं ओस से ख़राब हुई है सड़क

विरोध प्रदर्शन करते ग्रामीण की फोटो
सहायक अभियंता नहर विभाग अमेठी की फोटो

अमेठी, 19 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । अमेठी जिले में नहर विभाग के जेई साहब का बेतुका बयान सामने आया है। दरअसल 5 किलोमीटर लंबी सड़क बनने के दाे महीने के भीतर ही पूरी तरह से खराब होने के मामले में जेई साहब ने बताया कि यह सड़क भ्रष्टाचार से नहीं बल्कि ओस से खराब हुई है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार को लेकर भले ही अधिकारियों की लगाम कसते हुए देखे जाते हैं, लेकिन डबल इंजन की सरकार के मंसूबों पर नहर विभाग के भ्रष्ट अधिकारी पानी फेर रहे हैं। योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति को यही अधिकारी नष्ट करने पर तुले हुए हैं । जो बीजेपी सरकार सड़कों के जाल बिछाने एवं दुरुस्तीकरण के लिए जानी जाती है। उसी की छवि यह अधिकारी धूमिल कर रहे हैं । यह मामला अमेठी तहसील एवं ब्लॉक क्षेत्र अंतर्गत कोरारी गिरधर शाह का है जहां पर नहर विभाग के द्वारा लगभग 70 लाख रुपए की लागत से कोरारी गिरधरशाह से नहर के किनारे रामगढ़ होते हुए विशेश्वरगंज को जोड़ने वाली लगभग 5 किलोमीटर लंबी सड़क लगभग दो महीने पूर्व बनाई गई थी। किंतु वही सड़क आज फिर जस की तस हो गई है।

यही नहीं ग्रामीण तो बताते हैं कि 2 किलोमीटर इधर और 2 किलोमीटर उधर सड़क बना दी गई लेकिन बीच में 1 किलोमीटर सड़क बनाई ही नहीं गई है। सड़क निर्माण के दौरान किए गए भ्रष्टाचार के चलते अभी ही सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो गए थे और गिट्टियां उखड़ने लगी थी। जिसको देखकर ग्रामीणों ने गुहार लगाते हुए सड़क को फिर से बनवाने की मांग उठाई। 2 महीने में ही नवनिर्मित सड़क यूं ही जर्जर नहीं हो जाती है। ऐसे में इस सड़क के निर्माण में बड़ा बंदर बांट हुआ है या फिर यूं कहें कि भ्रष्टाचार की पूरी भेंट चढ़ चुकी है यह सड़क। देश और प्रदेश में मोदी योगी की सरकार है इसके बावजूद अधिकारियों को जरा सा भी डर नहीं है।

मीडिया में खबर चलने के बाद शीर्ष पर बैठे जिम्मेदारों ने संज्ञान लिया फलस्वरूप उस पर फिर से पैचिंग का कार्य कराया गया। लेकिन अब भी ग्रामीणों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क में 70 लाख नहीं बल्कि 20 लाख रुपए भी नहीं खर्च किए गए। खबर चलने के बाद अपनी कमी छुपाने के लिए आनन फानन में उखड़ रही सड़क को नहर विभाग के अधिकारियों द्वारा रातों-रात तारकोल डालकर सफेद पाउडर डाल दिया गया। जिस तरीके से मानक विहीन सड़क बनाई गई है ऐसे में दो महीने में ही इस पर पैचिंग का कार्य होने लगा है तो यह बड़ा सवाल है कि अब यह सड़क कितने दिन चलेगी? यह तो भविष्य के गर्त में है फिलहाल ग्रामीणों ने यह भी कहा है कि इस भ्रष्टाचार और बंदर बांट की जांच कर दोषियों के ऊपर कार्यवाही की जानी चाहिए तथा सड़क को मजबूती के साथ बनाना चाहिए।

वही इस मामले में जब नहर विभाग खंड 49 के सहायक अभियंता ने बताया कि यह रोड 2 पैच में बनाई गई थी जिसमें एक की लम्बाई 1100 मीटर और दूसरे की लंबाई 5 किमी के लगभग है। यह ठंड के शुरुआत नवंबर महीने में रोड बनाई गई थी। ठंड के कारण पेड़ों के नीचे ओस गिरने के कारण कुछ स्थानों पर पैच वर्क हुए थे। जिसको संबंधित कार्यकारी संस्था द्वारा रिपेयर कर दिया गया है। इसमें कोई भ्रष्टाचार का मामला नहीं है और रोड सही है। 5 किमी वाली सड़क 70 लाख से अधिक की लागत और 1100 मीटर लंबी सड़क लगभग 13 लाख रुपए से अधिक की लागत से बनाई गई है। यह कहना बिल्कुल गलत है की पूरी सड़क उखड़ गई थी यह उन जगहों पर जहां पर पेड़ है। उन्हीं के नीचे ओस गिरने के चलते क्षतिग्रस्त हुई है। जिसको अब सही कर दिया गया है मौसम अनुकूल है आवागमन में कोई समस्या नहीं है।

अरे जेई साहब इस प्रकार का बयान देने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लेते की आपके विभाग द्वारा बनाई गई सड़क पर कितने पेड़ हैं? क्या वह सिर्फ पेड़ों के नीचे ही खराब है या पूरी सड़क खराब है। आप ही बता रहे हैं कि नवंबर महीने में सड़क बनाई गई है तो यह भी बता दीजिए की नवंबर महीने में कितनी ठंडक पड़ती है? जिससे आपकी सड़क खराब हो गई। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है नहर विभाग तो इससे पता चलता है कि सड़क के एक किनारे नहर खुदी हुई है वहां पर पेड़ तो है ही नहीं दूसरी तरफ पेड़ मिलेंगे लेकिन वह भी लगातार नहीं। क्या सड़क बनाने से पहले सारे पेड़ कटवा दिए जाने चाहिए? तभी सड़क गुणवत्ता और मानक वाली बनेगी। इसका मतलब तो यह है कि जिस सड़क के किनारे पेड़ हैं वह सड़क ऐसे ही बनती है।

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(Udaipur Kiran) / LOKESH KUMAR TRIPATHI

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