लखनऊ, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश में सिंधी समाज के परिवारों में रविवार को कुटुंब प्रबोधन का संदेश देते हुए थदड़ी पर्व मनाया जाएगा। वाराणसी, लखनऊ, कानपुर सहित प्रदेश भर में सिंधी समाज द्वारा पर्व मनाने के लिए शनिवार को व्यंजन बनाए गए।
उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष नानक चंद ने बताया कि थदड़ी शब्द का सिंधी भाषा में अर्थ शीतल होता है। रक्षाबंधन के आठवें दिन इस पर्व को समूचा सिंधी समुदाय हर्षोल्लास से मनाता है। हजारों वर्ष पूर्व में सिंध के मोहनजोदड़ो की खुदाई में माँ शीतला देवी की प्रतिमा निकली थी। ऐसी मान्यता है कि उन्हीं की आराधना में आज तक थदड़ी का पर्व हर साल मनाया जाता है।
उन्होंने बताया कि इस त्योहार के एक दिन पहले हर सिंधी परिवार में तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। दूसरे दिन सर्वप्रथम परिवार के सभी सदस्य जल स्रोत के पास इकट्ठे होकर माँ शीतला देवी की विधिवत पूजा करते हैं। जिसमें घर के छोटे बच्चों को विशेष रूप से शामिल किया जाता है, उनके लिए प्रार्थना की जाती है कि वे शीतल रहें व माता के प्रकोप से बचे रहें। इस दौरान ये पंक्तियाँ गाई जाती हैं ठारि माता ठारि, पहिंजे बच्चणन खे ठारि, माता अॻे भी ठारियो थी, हाणे भी ठारि। तत्पश्चात् पूरा दिन घरों में चूल्हा नहीं जलता है। आज वही दिन है, व्यंजन बन गए है और अब चूल्हा नहीं जलेगा। अब त्योहार पर आज के दिन बनाया गया ठंडा खाना ही खाया जाता है।
वाराणसी में सिंधी समाज के वरिष्ठ नागरिक लीला राम ने बताया कि रविवार को 25 अगस्त को थदड़ी पर्व मनाया जाएगा। शनिवार को सिंधी परिवारों में व्यंजन बन कर तैयार हुआ है, जिसे ही ठंडा कहा जाता है। पर्व मनाने के लिए सिंधी परिवारों में महिलाओं में विशेष रूप से उत्साह का माहौल है। जिसमें पूरा परिवार सम्मिलित होगा।
(Udaipur Kiran) / शरद चंद्र बाजपेयी / मोहित वर्मा