जम्मू,, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर में गठित हुई नई सरकार के लिए आतंकी सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं। कहीं टारगेट कीलिंग की जा रही है तो कहीं श्रमिकों को निशाना बनाकर आतंकी अंधाधूंध फायरिंग कर रहे है। गांदरबल में सुरंग के निर्माण कार्य में लगी कंपनी के अधिकारियों और श्रमिकों पर हमला इसकी जिंदा मिसाल है। जबकि अखनूर में सैन्य एंबूलैंस पर हमला और फिर वहां शुरू हुई मुठभेड़ में भले ही सुरक्षाबलों को सफलता मिली और उन्होंने सभी तीनों आतंकियों को मार गिराया। यह घटनाएं नई सरकार के सामने चुनौती पेश कर रही हैं। क्योंकि अब आतंकियों ने दोनों खित्तों में अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया। हालांकि हाल ही में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण वातावरण में हुए। बंपर वोटिंग हुई। इससे आतंकी संगठन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ बौखलाई हुई है। यह हमले आतंकियों की इसी बौखलाहट का हिस्सा बताया जा रहा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षाबलों को खुली छूट दे रखी है। दूसरी तरफ आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती भी लगभग बंद हो गई थी, लेकिन नई सरकार के गठन के बाद से ही आतंकी फिर से मासूम लोगों को अपना निशाना बनाने में लगे हैं। आतंकियों ने शोपियां जिले में बिहार के एक श्रमिक की हत्या कर दी थी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी जम्मू कश्मीर में शांति बहाली से बौखलाए हुए हैं। आतंकियों का षड्यंत्र है कि अगर कश्मीर में मासूमों को निशाना बनाया तो इससे यह संदेश जाएगा कि कश्मीर में अभी भी हालात अच्छे नहीं है। इसीलिए हमले का दिन उन्होंने कश्मीर मैराथन के दिन को चुना जब यूरोप और अफ्रीका के कई देशों के धावक कश्मीर में थे। ताकि दुनिया को संदेष दिया जा सकें। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नई सरकार कैसे आतंकियों से निपटती है क्योंकि यह सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / अश्वनी गुप्ता