
प्रयागराज, 20 मई (Udaipur Kiran) । मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेन्टर, ईश्वर शरण पी.जी. कॉलेज द्वारा भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘‘मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम’’ के अन्तर्गत 22वां प्रशिक्षण कार्यक्रम NEP-Orientation and Sensitization Programme (20-30 मई) का शुभारम्भ मंगलवार को हुआ।
इस अवसर पर प्रशिक्षण केन्द्र के निदेशक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो आनंद शंकर सिंह ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षानीति कैसे हमको एक बहुआयामी दृष्टि दे रही है। इसी को समझने के लिए भारत सरकार ने एक शिक्षक-प्रशिक्षण का प्रारूप तैयार किया है। जिसके अन्तर्गत प्रशिक्षित होकर हमारे शिक्षक अपने उद्देश्यों को पूरा करने में महती भूमिका का निर्वाह कर सकेंगे और आगे आने वाली चुनौतियों के लिये तैयार होकर राष्ट्र निर्माण में अपनी महती भूमिका निभायेंगे।
एमएमटीटीसी के उप निदेशक डॉ मनोज कुमार दुबे ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि एवं उसकी अवधारणा की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। बताया कि राष्ट्रीय शिक्षानीति में शिक्षा को वैश्विक, कल्याणकारी और मानवता रक्षक के रूप में सृजित करने की रूपरेखा निर्मित की गई है। इसके अंतर्गत भाषा का सवाल, मातृभाषा में शिक्षा, समग्र और बहुआयामी शिक्षा, भारतीयता के प्रश्न और भारतीय ज्ञान के प्रश्न पर संस्कारों की शिक्षा और आचरण की शिक्षा को समर्पित किया गया है।
वक्ता प्रो राजीव चौधरी ने ‘‘होलिस्टिक एण्ड मल्टी डिसीप्लीनरी एजूकेशन’’ थीम पर आधारित उसकी पृष्ठभूमि, संकल्पना, विभिन्न विषयों के उद्भव एवं उसके परस्पर अंतर्संबंध एवं नई शिक्षानीति में उसके महत्त्व एवं उपादेयता को विश्लेषित किया। प्रथम सत्र का संचालन संयोजिका डॉ रागिनी राय ने किया।
दूसरे सत्र में भी प्रो राजीव चौधरी ने होलिस्टिक एण्ड मल्टी डिसीप्लीनरी एजूकेशन के उप विषयों एवं एनईपी की समस्याओं और समाधान पर चर्चा की। उन्होंने वर्तमान शोध पद्धतियों पर नई शिक्षानीति के प्रभाव को रेखांकित किया।
कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ महेश प्रसाद राय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मंच से एम.एम.टी.टी. सेण्टर के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ मनोज कुमार दुबे के साथ महाविद्यालय के प्रोफेसर मानसिंह, डॉ.शैलेश कुमार यादव, डॉ हर्षमणि सिंह, डॉ अखिलेश पाल, डॉ वेद मिश्रा, डॉ. उदय भदौरिया सहित देश के विभिन्न राज्यों से प्राध्यापक जुड़े रहें। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर से लेकर कर्नाटक तक और गुजरात से लेकर बंगाल तक के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 85 से अधिक शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
