– राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने राज्य के 28 शिक्षकों को किया ‘श्रेष्ठ शिक्षक पारितोषिक’ से सम्मानित
– सामर्थ्यवान गुरु, ज्ञान व शिक्षा से विद्यार्थी को ईश्वर से उसका साक्षात्कार करा सकता: मुख्यमंत्री
अहमदाबाद, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि यदि एक शिक्षक समर्पणभाव और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करे तो समाज में बड़ा परिवर्तन आ सकता है। उन्होंने राज्य के श्रेष्ठ शिक्षकों को सम्मानित करते हुए कहा कि शिक्षक की शक्ति अपार होती है। शिक्षा से बड़ा पवित्र कर्म दूसरा कोई नहीं होता। शिक्षक का दायित्व इस सृष्टि में श्रेष्ठ मनुष्य का निर्माण करना है। शिक्षक राष्ट्र निर्माता, समाज निर्माता और परिवार निर्माता होता है। शिक्षक सुख और शांति का आधार होता है।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुरुवार को अहमदाबाद के टैगोर हॉल में शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित एक समारोह में राज्य के 28 शिक्षकों को ‘श्रेष्ठ शिक्षक पारितोषिक’ से सम्मानित किया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ज्ञान साधना शिष्यवृत्ति और मुख्यमंत्री ज्ञान सेतु मेरिट स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाले 10 लाभार्थी विद्यार्थियों को भी प्रतीकात्मक रूप से प्रमाण पत्र वितरित किए। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ. कुबेरभाई डिंडोर और शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुलभाई पानशेरिया भी मौजूद रहे।
गुरुकुल के आचार्य के रूप में 35 वर्षों तक विद्यार्थियों को शिक्षा, संस्कार और स्वास्थ्य की शिक्षा देने वाले राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी पुस्तक ‘केळवे ते केळवणी’ में लिखा है कि, यदि शिक्षक अपने कर्तव्यों का योग्यतापूर्वक पालन नहीं करता है, तो वह परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए घातक सिद्ध हो जाता है। उन्होंने शिक्षकों से केवल परिचयात्मक ज्ञान के बजाय ऐसा ज्ञान देने का अनुरोध किया जो आचरण और अनुसरण में आ सके। अहिंसा और सत्य जैसे सद्गुणों का ज्ञान इस प्रकार दिया जाना चाहिए कि वह जीवन का अभिन्न अंग बन जाए, आभूषण बन जाए।
महर्षि उद्दालक और राजा अश्वपति कैकेय की एक घटना का उदाहरण देते हुए राज्यपाल ने कहा कि शिक्षकों, आचार्यों-गुरुजनों के प्रभाव से राजा कैकेय के राज्य में एक भी चोर, व्यसनी, अनपढ़, दुराचारी या कंजूस व्यक्ति नहीं था। ऐसा एक भी घर नहीं था, जहां सुबह-शाम होम-हवन न होता हो। शिक्षक ही राज्य में ऐसी स्थिति का निर्माण करने का सामर्थ्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि हवन की समिधा (लकड़ी) जैसे प्रज्ज्वलित होने को तत्पर बच्चों को विद्यापुंज जैसे अग्निस्वरुप आचार्य-गुरुजन प्रज्ज्वलित करें और उनके अज्ञानरुपी अंधकार को दूर करें। यह अध्यापकों पर बड़ी जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि सामर्थ्यवान गुरु, ज्ञान और शिक्षा-दीक्षा से विद्यार्थी को तेजोमय बनाकर ईश्वर से उसका साक्षात्कार करा सकता है। बालक अपना अधिकतर समय शिक्षक के साथ बिताता है, तब शिक्षक का यह दायित्व है कि वह बालक की जिज्ञासावृत्ति को संतुष्ट करे। इतना ही नहीं, शिक्षक की यह जिम्मेदारी है कि वह बालक की जिज्ञासावृत्ति और ज्ञान-कौतूहल को संतुष्ट करने के लिए समयानुकूल व्यवस्था के साथ स्वयं को भी तैयार रखे।
शिक्षा मंत्री डॉ. कुबेरभाई डिंडोर ने सरस्वती के साधक राज्य के श्रेष्ठ शिक्षकों का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षक समाज की श्रेष्ठ पूंजी हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जिनकी याद में पूरा देश आज शिक्षक दिवस मना रहा है, वह भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले एक शिक्षक ही थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक में शिक्षा को उजागर करने का सामर्थ्य होता है। श्रेष्ठ शिक्षक पारितोषिक प्राप्त करने वाले राज्य स्तर पर 28, जिला स्तर पर 96 और तहसील स्तर पर 184 सहित सभी शिक्षक तथा मुख्यमंत्री ज्ञान साधना शिष्यवृत्ति तथा मुख्यमंत्री ज्ञानसेतु मेरिट स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाले 10 लाभार्थी विद्यार्थियों को शिक्षा मंत्री ने राज्य सरकार की ओर से बधाई के साथ ही उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर शिक्षा विभाग द्वारा ‘विकास गाथा’ नामक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।
(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय