– सांध्यकालीन सभा में गान मनीषियों की प्रस्तुतियों ने बाँधा समां
ग्वालियर, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । प्रेम, विरह व श्रृंगार से परिपूर्ण संगीत की भावनात्मक मिठास दिलों को जोड़ती है। संगीत सरहदों में नहीं बंधता। संगीत का संदेश भी शास्वत है और वह है प्रेम। इस साल के विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह में भी भारतीय शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य साधकों और सुदूर यूरोपियन देश इटली से आए नादब्रम्ह के साधक ने अपने गायन-वादन से यही संदेश दिया। तानसेन सम्मान से अलंकृत और सुप्रसिद्ध तबला वादक पद्मश्री पंडित स्वपन चौधरी के माधुर्य से भरे तबला वादन को लंबे समय तक ग्वालियर के लोग भुला नहीं पाएंगे। पूरब और पश्चिम की सांगीतिक प्रस्तुतियों का गुणीय रसिकों ने तानसेन संगीत समारोह में बुधवार की रात सजी संगीत सभा में जीभरकर आनंद उठाया।
ईश्वर को अर्पित ध्रुपद गायन से सायंकालीन संगीत सभा का आरम्भ
संगीत अगर आत्मा को सुखद एवं आनन्द प्रदान कराने का माध्यम है तो ईश्वर की भक्ति का सबसे सुगम मार्ग भी संगीत ही है। नाद से नाथ को प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ तानसेन संगीत समारोह के 100वें उत्सव के चौथे दिन की सायंकालीन संगीत सभा में। जिसका आरंभ पारम्परिक रूप से ईश्वर को अर्पित एवं समर्पित ध्रुपद गायन से हुआ। प्रस्तुति देने के लिए मंच पर पधारे साधना संगीत महाविद्यालय, ग्वालियर के गुरु एवं शिष्य। उन्होंने राग मारुबिहाग में ताल चौताल में ध्रुपद गणपति गणनायक सिद्धी सदन विघ्नहरण…. का गान किया। दिव्यता से सराबोर इस प्रस्तुति का संगीत संयोजन स्मिता महाजनी ने किया। जबकि पखावज पर अविनाश महाजनी और तबले पर बसंत हरमरकर ने संगत दी।
सितार की तारों से निकलती धुन ने झंकृत किया मन
ध्रुपद गायन के पश्चात अवसर था विश्व संगीत के अंतर्गत इटली से पधारे रेमो स्केनो के सितार के तारों से निकलती धुनों पर झंकृत होने का। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के लिए राग यमन का चयन किया। आलाप, जोड़ एवं झाला से राग के सौंदर्य को रसिक श्रोताओं तक प्रेषित करते हुए विलंबित की बंदिश से समां बांध दिया। तारों से निकलती धुनें सीधे हृदय पर दस्तक दे ही रही थीं, तभी स्केनो ने द्रुत बंदिश प्रस्तुत कर सुनने वालों को निहाल कर दिया। तबले पर सुप्रसिद्ध एवं युवा तबला वादक मनोज पाटीदार ने बखूबी साथ दिया।
पं. स्वपन चौधरी के माधुर्य भरे तबला वादन से अभीभूत हुए रसिक
सायंकालीन संगीत सभा में श्रोताओं की प्रतीक्षा तब समाप्त हो गई, जब तानसेन सम्मान से अलंकृत और सुप्रसिद्ध तबला वादक पद्मश्री पंडित स्वपन चौधरी, कोलकाता की तबला वादन की सभा सजी। निश्चित ही तबला वादन के शीर्षस्थ वादक और रसिक श्रोताओं के हृदयों में निवास करने वाले स्वपन चौधरी ने तीन ताल में अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने लखनऊ घराने की परंपरानुसार अपना वादन प्रस्तुत किया। आपने अपने वादन में कायदे, रेले, गत, पेशकार सहित सुंदर—सुंदर टुकड़े और मुखड़ों से संगीतप्रेमियों को अपने वादन के जादू में बांध दिया। माधुर्य से भरे इस वादन को लंबे समय तक ग्वालियर के लोग नहीं भूल पाएंगे। उन्होंने अपने वादन से पूर्व कहा कि मैंने अपना भाई खो दिया। दरअसल, वे उस्ताद जाकिर हुसैन के दुखद निधन से हुई पीड़ा के संबंध में बात कर रहे थे। उन्होंने कहा मैं उन्हें छोटा भाई और वो मुझे दादा भाई कहते थे। पंडित स्वपन चौधरी ने अपना वादन उस्ताद जाकिर हुसैन को समर्पित किया।
(Udaipur Kiran) तोमर