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तानसेन समारोह: बटेश्वर मंदिरों की अलौकिक आभा में स्वर-साज की अनुगूंज, संगीत की महक से घुली वातावरण में मधुरता

तानसेन संगीत समारोह की सभा

– शताब्दी महोत्सव में मुरैना जिले के बटेश्वर मंदिर श्रृंखला के बीच सजी विशेष संगीत सभा

ग्वालियर, 18 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सुर सम्राट तानसेन की याद में आयोजित 100वें तानसेन संगीत समारोह में बुधवार को सर्द सुबह में प्राकृतिक वातावरण के बीच बटेश्वर मंदिर समूह परिसर की दिव्यता की लालिमा के बीच विशेष संगीत सभा सजी। इस सभा में गायकों ने स्वर-साज की अनुगूंज कर वातावरण में मधुरता घोल दी। मनोरम दृश्यों के बीच संगीत के स्वर-साजों को सुनना रसिक श्रोताओं के लिए अनूठा अवसर था। बटेश्वर मंदिर की अलौकिक आभा में सर्वप्रथम मुरैना के मोहित खां ने स्वर छेड़े। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के लिए राग मियां की तोड़ी को चुना। इसमें उन्होंने विलंबित लय की रचना और मध्य लय की रचना प्रस्तुत की। मोहित खां ने अपनी प्रस्तुति का समापन राग मिश्रित पहाड़ी में ठुमरी गाकर किया। उनके साथ तबले पर शाहरुख खां, हारमोनियम पर मीरा वैष्णव और सारंगी पर सलमान खां ने संगत दी।

परिंदों की चहचहाहट से परिसर खुशनुमा हो चुका था, तो वहीं संगीत के स्वर-साज की अनुगूंज इस वातावरण में मधुरता घोल रही थी। अब समय आ चुका था अध्यात्म की यात्रा पर जाने का। इस यात्रा पर जाने के लिए मंच पर नमूदार हुईं उदयपुर की सुप्रसिद्ध गायिका महालक्ष्मी शिनाय। उन्होंने अपनी प्रस्तुति किए राग नट भैरव का चुनाव किया। इसमें छोटा और बड़ा खयाल प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। इसके बाद राग अहीर भैरव में बंदिश पेश की। अंत में कोंकणी का पारम्परिक भजन नारी नयन चकोरा…. से प्रस्तुति को विराम दिया। उनके साथ तबले पर हिमांशु महंत, हारमोनियम पर नवनीत कौशल एवं सारंगी पर आबिद हुसैन ने संगत दी।

अगली प्रस्तुति भोपाल के सुप्रसिद्ध सरोद वादक आमिर खां की थी। सुप्रसिद्ध संगीत परिवार से सम्बन्धित आमिर खां के दादा एवं पद्मश्री उस्ताद अब्दुल लतीफ खां के साथ संगीत की धारा बहती रही है। आमिर खां ने अपनी प्रस्तुति के लिए राग बैरागी को चुना। कर्णप्रिय और भक्ति रस से भरपूर इस राग को सरोद पर सुनना रसिक श्रोताओं के लिए अनुपम अनुभव रहा। तारों पर मझा हुई उंगलियों से सरोद के स्वरों ने संपूर्ण परिसर को सुरीला बना दिया। उनके साथ तबले पर भोपाल के अशेष उपाध्याय ने संगत दी।

इस विशेष सभा की अंतिम प्रस्तुति विदुषी सुनंदा शर्मा के गायन की रही। सुनंदा शर्मा बनारस घराने की प्रख्यात गायिका डॉ. विदुषी गिरीजा देवी की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए युवा पीढ़ी में एक प्रमुख शास्त्रीय गायिका के रूप में उभरी हैं। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के लिए राग विलासखानी तोड़ी को चुना, जिसे स्वर सम्राट तानसेन के पुत्र विलास खान ने बनाया था। इसमें उन्होंने बंदिश कब घर आवेंगे…. सुरीले और प्रभावी ढंग से गाया। गायन में आगे उन्होंने राग बहार में बनारस घराने का टप्पा सुनाया, जिसके बोल थे गुलशन में बुलबुल चहकी….। उनके साथ सारंगी पर मुन्ने खां, तबले पर अभिषेक मिश्रा एवं हारमोनियम पर विवेक जैन ने संगत की।

समारोह के आखिरी दिन 19 दिसम्बर को बेहट व गूजरी महल में सजेंगीं सभाएं

प्रात: कालीन सभा 19 दिसम्बर–बेहटः इस सभा की शुरुआत प्रात: 10 बजे ध्रुपद केन्द्र बेहट के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद अनूप एवं वैशाली मोघे ग्वालियर द्वारा गायन, अदिति शर्मा दिल्ली का ध्रुपद गायन एवं दीपांशु शर्मा ग्वालियर द्वारा सितार वादन की प्रस्तुति होगी।

सायंकालीन एवं अंतिम सभा 19 दिसम्बर– गूजरी महलः इस सभा की शुरुआत पारंपरिक रूप से सायंकाल 6 बजे ध्रुपद केन्द्र ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद सुकन्या रामगोपाल एवं साथी बैंगलुरू का घटम् वृंद वादन एवं मृत्तिका मुखर्जी कोलकाता का ध्रुपद गायन होगा। सभा का समापन त्रोइली एवं मौईशली दत्ता कोलकाता की सरोद जुगलबंदी के साथ होगा।

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(Udaipur Kiran) तोमर

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