
हरिद्वार, 13 अप्रैल (Udaipur Kiran) । बीएपीएस स्वामीनारायण संस्थान के प्रमुख महामहोपाध्याय भद्रेशदास स्वामी एवं अक्षरधाम के वरिष्ठ आध्यात्मिक संत मुनि वत्सल दास का देव संस्कृति विश्वविद्यालय आगमन हुआ। दोनों संत आम्रकुंजों की छाया में बसा देसंविवि के नैसर्गिक वातावरण से अभिभूत हुए। प्रज्ञेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की और देश की सेवा में अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले वीर सपूतों की याद में बने शौर्य दीवार पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
संतद्वय ने विवि में स्थापित एशिया के प्रथम बाल्टिक सेंटर, हथकरघा, स्वावलंबन कार्यशाला सहित विभिन्न नवाचारी प्रकल्पों का अवलोकन किया। उन्होंने इन सभी योजनाओं की संकल्पना, क्रियान्वयन एवं उद्देश्य को पूरा होते देख संतद्वय ने देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि डॉ. चिन्मय के नेतृत्व में देसंविवि अपने नाम के अनुरूप चल रहा है। युवा पीढ़ी के लिए ज्ञान, भक्ति और मूल्यों के माध्यम से मानवता के उत्थान के लिए समर्पित संकल्पों की यह एक सशक्त संस्थान है। संतद्वय ने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के संरक्षण एवं प्रचार हेतु अपनी सहभागिता के लिए भी अपना हाथ बढ़ाया।
संतद्वय और देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या के बीच धर्म, भारतीय शिक्षा प्रणाली तथा सांस्कृतिक मूल्यों पर गहन एवं व्यावहारिक चर्चा हुई। यह संवाद भारतीय ज्ञान परंपराओं की जीवंतता एवं समकालीन शिक्षा में उनकी प्रासंगिकता को उजागर करने वाला रहा।
इस दौरान बीएपीएस स्वामीनारायण संस्थान के प्रमुख महामहोपाध्याय भद्रेशदास स्वामी एवं अक्षरधाम के वरिष्ठ आध्यात्मिक संत मुनि वत्सल दास का गायत्री मंत्रचादर, युग साहित्य, प्रतीक चिह्न आदि भेंटकर सम्मानि किया।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
