

धमतरी, 29 मई (Udaipur Kiran) । प्रेम प्रकाश आश्रम में चालीहा महोत्सव उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। दिनभर विविध कार्यक्रम हो रहे हैं। प्रवचन में संत लोकेश ने कहा कि क्षमाशीलता को अपनाने वाले वीर एवं क्रोध को शांत रखने वाले परम धीर सत्पुरुष स्वामी टेऊंराम महाराज ने अपने जीवन में अत्यंत दुःख देने वालों पर भी न तो क्रोध किया न उनकी प्रति दुर्भावना ही रखी न उनसे कभी बदला लिया, बल्कि उनके मन को ही बदल दिया। वे प्रेम, दया, करूणा के सागर हैं।
उन्हाेंने कहा कि ईश्वर ने सृष्टि की रचना की, जिसमें जीवों के कल्याण के लिए एक जल की गंगा एवं ज्ञान की गंगा को प्रवाहित किया। जो गंगा प्रभु के चरणों से प्रवाहित हुई वह पृथ्वी के पवित्र देश भारत में गंगोत्री से निकल कर गंगा सागर तक बहते हुए जीवों के निस्तार के साथ साथ उनके पापों को धोकर कल्याण का महान कार्य कर रही है, दूसरी जो प्रभु के मुख से ज्ञान के रूप में गंगा प्रवाहित हुई वह पवित्र वेदों में शोभा पाते हुए जीवों के कल्याण के लिए निरंतर प्रवाहित होकर जीवों को पाप कर्म-माया के प्रताप से बचाकर शुभ कर्मों को करने के लिए प्रेरित कर रही है। प्रभु के चरणों से प्रवाहित गंगा माता के तट पर तपस्या की भक्ति की एवम् प्रभु के मुख से निकली ज्ञान की गंगा को जीवो तक पहुंचा रहे हैं। लोगों को ज्ञान प्रदान कर कल्याण कर रहे हैं, जैसे सड़क में दिशा निर्देश लिखे हुए बोर्ड लगे होते हैं जो राही को आगे की यात्रा की सुगमता में मदद करते हैं। उसे भटकने से बचाकर मंजिल तक समय से पहुंचा देते हैं, उसी प्रकार से मनुष्य को जीवन के पथ में गुरु दिशा निर्देश देने का काम करते हैं। सच की धर्म की राह बताते हैं। उस राह में चलना तो जिज्ञासु को पड़ता है जो उनके वचनों का दृढ़ता पूर्वक अपने जीवन में पालन करता है। वह सुगमता से एवं समस्त पापों से बचते हुए समय पर मंजिल पर पहुंच जाता है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
