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सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी लेनदेन कानून मामले में अपना 2022 का आदेश वापस लिया

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी लेनदेन कानून के मामले में अपने 2022 के आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें इस कानून के दो प्रावधानों को असंवैधानिक करार दिया गया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका मंजूर करते हुए साफ किया कि वे पुरानी याचिका पर फिर से विचार करने की अनुमति दे रहे हैं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त, 2022 को बेनामी संपत्ति के लिए 3 साल की सजा का कानून निरस्त कर दिया था। तीन साल की सजा का प्रावधान बेनामी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिशन) एक्ट की धारा 3(2) में था। तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा था कि संपत्ति जब्त करने का अधिकार पिछली तारीख से लागू नहीं होगा। यानि पुराने मामलों में इस कानून के तहत कार्रवाई नहीं होगी।

केंद्र सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि बेनामी ट्रांजैक्शन कानून में संशोधन पिछली तारीख से लागू नहीं होगा। इस कानून के तहत सरकार को संपत्ति जब्त करने का मिला अधिकार पिछली तारीख से लागू नहीं हो सकता है। इसका मतलब है कि पुराने मामलों में इस कानून के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 2022 के मामले में सुनवाई के दौरान किसी भी पक्ष ने कानून की संवैधानिक वैधता पर कोई सवाल खड़ा नहीं किया।

बेनामी संपत्ति का मतलब है कि वैसी संपत्ति जिसकी कीमत किसी और ने चुकाई हो और नाम किसी दूसरे व्यक्ति के हो। ये संपत्ति पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर भी खरीदी गई होती है। ऐसा काला धन छुपाने के लिए किया जाता है।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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