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नई दिल्ली, 17 फरवरी (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट से जुड़े मामले की सुनवाई टाल दिया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई अप्रैल के पहले हफ्ते के लिए टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दाखिल याचिका पर 12 मार्च, 2021 को नोटिस जारी किया था, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया है।
कांग्रेस, सीपीएम और समाजवादी पार्टी ने वर्शिप एक्ट के समर्थन में याचिका दाखिल की है। समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन की याचिका में कहा गया है कि यह एक्ट देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के मुताबिक है। इसमें कोई भी बदलाव सामाजिक समरसता के लिए ठीक नहीं होगा। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के जरिये दायर याचिका में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का बचाव करते हुए कहा गया है कि यह कानून भारत में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए जरूरी है। कांग्रेस ने अपनी अर्जी में कहा है कि इस एक्ट में किसी भी तरह का बदलाव सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरे में डाल सकता है। याचिका में कहा गया है कि इस एक्ट की परिकल्पना 1991 से पहले की गई थी और अगर इसे हटाया जाता है तो राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो सकता है।
इसके अलावा राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, एनसीपी शरद पवार गुट के विधायक जीतेंद्र आव्हाड, आरजेडी के सांसद मनोज कुमार झा, सांसद थोल तिरुमावलन के अलावा वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन कमेटी और मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिकाएं दायर करके प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का समर्थन किया है। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देते हुए काशी नरेश विभूति नारायण सिंह की बेटी कुमारी कृष्ण प्रिया, वकील करुणेश कुमार शुक्ला, रिटायर्ड कर्नल अनिल कबोत्रा, मथुरा के धर्मगुरु देवकीनंदन ठाकुर, वकील रुद्र विक्रम सिंह और वाराणसी के स्वामी जितेंद्रानंद ने याचिकाएं दायर की हैं।
(Udaipur Kiran) /संजय
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
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