नई दिल्ली, 04 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश की महिला जज को बर्खास्त करने और उन्हें बहाल करने से इनकार करने पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट को फटकार लगाई है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने कहा कि महिला जज को बर्खास्त करते समय उसके गर्भ के गिरने (मिसकैरेज) के कारण हुई पीड़ा को नजरंदाज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि काश पुरुषों को भी महिलाओं की तरह मासिक धर्म से गुजरना पड़े तो क्या हो। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के सिविल जजों की बर्खास्तगी पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट मध्यप्रदेश के छह महिला सिविल जजों को बर्खास्त करने के मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है। इन छह महिला सिविल जजों में से चार को तो हाईकोर्ट ने बहाल कर लिया लेकिन दो महिला जजों को बहाल करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया था जिसके बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने चार महिला जजों को बहाल कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बर्खास्तगी का आदेश देना काफी आसान है। हम भी इस मामले पर विचार कर रहे हैं । क्या वकील कह सकते हैं कि हम धीमे हैं। खासतौर पर महिलाओं के लिए जो शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं।
—————
(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा