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बांके बिहारी मंदिर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, 27 मई (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई है कि उसने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर दो निजी पक्षकारों के बीच चल रहे विवाद को हाईजैक कर लिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर राज्य सरकार इस तरह निजी पक्षकारों के बीच आएगी, तो कानून का शासन खत्म हो जाएगा।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या राज्य सरकार सुनवाई में हिस्सेदार रही है। राज्य सरकार किस हैसियत से इस विवाद में कूद सकती है। आप विवाद को हाईजैक नहीं कर सकते हैं। दो निजी पक्षकारों के बीच के मामले में राज्य सरकार हस्तक्षेप याचिका कैसे दायर कर सकती है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को संशोधित करने की यूपी सरकार की मांग पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता देवेन्द्र नाथ गोस्वामी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में उन्हें पक्षकार बनाये ही राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये दे दिए गए। सिब्बल ने पूछा कि किसी दूसरी याचिका के जरिये किसी निजी मंदिर की कमाई को राज्य सरकार को कैसे दिया जा सकता है। तब यूपी सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया है और वो ट्रस्ट कॉरीडर के काम को देखेगी। यूपी सरकार ने कहा कि पूरा पैसा ट्रस्ट के पास है न कि राज्य सरकार के पास। तब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को ट्रस्ट के निर्माण संबंधी राज्य सरकार की अधिसूचना की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को संशोधित करते हुए यूपी सरकार को मंदिर के 500 करोड़ रुपयों से कॉरिडोर के लिए मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने की इजाजत दे दी थी। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने शर्त लगाई थी कि अधिगृहित भूमि देवता के नाम पर पंजीकृत होगी। दरअसल, यूपी सरकार कॉरीडोर विकसित करने के लिए 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत वहन करना चाहती है, लेकिन यूपी सरकार ने संबंधित जमीन खरीदने के लिए मंदिर के पैसों का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा था। बांके बिहारी जी ट्रस्ट के पास मंदिर के नाम पर फिक्स डिपॉजिट है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 8 नवंबर 2023 को यूपी सरकार के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि कॉरीडोर को बनाया जाना चाहिए, लेकिन इसमें मंदिर के फंड का उपयोग नहीं किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के इसी आदेश को संशोधित करते हुए यूपी सरकार को प्रस्तावित भूमि का अधिग्रहण करने के लिए मंदिर के फिक्स डिपॉजिट में पड़ी राशि के इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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