नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब कैटेगरी बनाने का अधिकार देने के अपने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच ने कहा कि उसके पहले के आदेश में कोई गड़बड़ी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया कि पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई खुली अदालत में हो।
सुप्रीम कोर्ट ने की सात जजों की संविधान पीठ ने एक अगस्त को बहुमत से फैसला दिया था कि राज्य सरकार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में वो सब कैटेगरी बना सकती है जिन कैटेगरी को ज्यादा आरक्षण का फायदा मिलेगा। सात जजों की बेंच ने 2004 में ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए पांच जजों के फैसले को पलटते हुए ये फैसला दिया था। 2004 में दिये उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी जनजातियों में सब कैटेगरी नहीं बनाई जा सकती।
चीफ जस्टिस समेत छह जजों के बहुमत के फैसले में कहा गया है कि राज्य सरकार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में वो सब कैटेगरी बना सकती है जिन कैटेगरी को ज्यादा आरक्षण का फायदा मिलेगा। जबकि जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने इस फैसले के उलट फैसला दिया। इस संविधान बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / पवन कुमार